विदेश में पढ़ाईः ये हैं अमेरिका के 9 विकल्प
दुनिया के कई देश जैसे जापान, जर्मनी, फ्रांस और सिंगापुर न केवल उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा की पेशकश कर रहे हैं, बल्कि स्कॉलरशिप, सस्ती फीस और रोजगार के बेहतर अवसरों के जरिए अमेरिका की जगह लेने को तैयार हैं.
जापान: क्वॉलिटी एजुकेशन के साथ पूरा खर्च माफ
जापान की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज जैसे ओसाका यूनिवर्सिटी, टोक्यो यूनिवर्सिटी और क्योटो यूनिवर्सिटी अब अमेरिकी पाबंदियों से प्रभावित विदेशी छात्रों के लिए बड़े अवसर खोल रही हैं. ओसाका यूनिवर्सिटी ने फुल ट्यूशन फी माफ, रिसर्च फंडिंग और ट्रैवल की सहायता की घोषणा की है. जापान में इंग्लिश मीडियम कोर्स की संख्या बढ़ रही है और वहां पढ़ाई के साथ रिसर्च का बेहतरीन माहौल है.
हांगकांग: एशिया का एजुकेशन हब बनने की तैयारी
हांगकांग यूनिवर्सिटी और चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग ने अमेरिकी छात्रों को आकर्षित करने के लिए विशेष योजनाएं शुरू की हैं. हांगकांग न केवल शिक्षा के लिए जाना जाता है, बल्कि एक वैश्विक वित्तीय और व्यावसायिक केंद्र होने के नाते, छात्रों को इंटर्नशिप और नौकरी के शानदार अवसर भी देता है. इंग्लिश यहां की आधिकारिक भाषाओं में से एक है, जिससे भारतीय छात्रों को भाषा की समस्या नहीं आती.
चीन: तेजी से उभरता हुआ रिसर्च और शिक्षा केंद्र
चीन की यूनिवर्सिटी जैसे पेकिंग यूनिवर्सिटी और शीआन जियाओतोंग यूनिवर्सिटी अब अमेरिकी संस्थानों से निकाले गए या असहज छात्रों को प्रवेश देने के लिए सरल दाखिला प्रक्रिया और मदद की पेशकश कर रही हैं. विज्ञान, इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्र में चीन ने भारी निवेश किया है और भारतीय छात्रों को यहां रिसर्च, स्कॉलरशिप और मेडिकल सुविधाएं बहुत कम खर्च में मिल सकती हैं.
जर्मनी: ट्यूशन फीस फ्री और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा
जर्मनी लंबे समय से भारतीय छात्रों की पसंद रहा है, खासकर इंजीनियरिंग और साइंस में. यहां की सरकारी यूनिवर्सिटी में ट्यूशन फीस नहीं लगती और डीएएडी (DAAD) जैसे संगठनों के जरिए स्कॉलरशिप्स आसानी से मिलती हैं. मास्टर्स कोर्सेस में इंग्लिश माध्यम उपलब्ध है और पोस्ट स्टडी वीजा की सुविधा भी आकर्षण का केंद्र है.
फ्रांस: कम खर्च में अच्छी पढ़ाई
सॉरबोन यूनिवर्सिटी और एसईसी पेरिस जैसी यूनिवर्सिटी न केवल अकैडमिक रूप से बेहतरीन हैं, बल्कि फ्रांस में सरकारी स्कॉलरशिप्स, कम ट्यूशन फीस और संस्कृति से जुड़ाव भी छात्रों को आकर्षित करता है. इंग्लिश मीडियम कोर्सेज की संख्या बढ़ रही है और फ्रांस की सरकार इंटरनेशनल स्टूडेंट्स को स्थायी रूप से बसने के अवसर भी देती है.
आयरलैंड: पोस्ट स्टडी वर्क वीजा के साथ मजबूत करियर की संभावना
आयरलैंड की यूनिवर्सिटी जैसे ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन और यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन ने हाल के वर्षों में भारतीय छात्रों के बीच लोकप्रियता पाई है. आयरलैंड में दो साल का पोस्ट स्टडी वर्क वीजा मिलता है और आईटी, फार्मा और फिनटेक जैसे क्षेत्रों में करियर बनाना आसान है. यहां की भाषा इंग्लिश है और जीवनशैली भारत के अनुकूल है.
यूनाइटेड किंगडम: स्कॉलरशिप्स के साथ फिर से बन रहा आकर्षक विकल्प
हालांकि पहले ब्रिटेन की फीस महंगी मानी जाती थी, पर शिवनिंग और कॉमनवेल्थ जैसी स्कॉलरशिप्स भारतीय छात्रों को पढ़ाई का सस्ता और सुरक्षित विकल्प दे सकती हैं. दो साल का पोस्ट स्टडी वीजा और तेजी से रिकवर होती इकॉनमी ब्रिटेन को एक मजबूत विकल्प बनाते हैं. ऑक्सफर्ड, कैम्ब्रिज और एडिनबरा जैसी यूनिवर्सिटी भारत में खूब जानी जाती हैं.
सिंगापुर: टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का हॉटस्पॉट
एनयूएस और एनटीयू जैसी यूनिवर्सिटीज ग्लोबल रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर हैं. सिंगापुर भारत के करीब है, ट्रैवल सस्ता है और यहां की संस्कृति भारत से मिलती-जुलती है. क्वॉलिटी एजुकेशन, सेफ एनवायरनमेंट और आसान वीजा पॉलिसी सिंगापुर को अत्यंत आकर्षक विकल्प बनाते हैं.
दक्षिण कोरिया: रिसर्च और स्कॉलरशिप्स के लिए उपयुक्त
केएआईएसटी और पोस्टटेक जैसे संस्थान इंजीनियरिंग और साइंस के लिए दुनिया के सबसे अग्रणी संस्थानों में शामिल हैं. कोरिया सरकार इंटरनेशनल छात्रों के लिए ग्लोबल कोरिया स्कॉलरशिप जैसी योजनाएं चलाती है. यहां आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संतुलन छात्रों को एक अलग अनुभव देता है.