सीरिया में प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग
१९ अप्रैल २०११मानवाधिकार कार्यकर्ता के मुताबिक सोमवार रात पुलिस के एक अधिकारी ने पहले लाउड स्पीकर के जरिए प्रदर्शनकारियों से क्लॉक स्क्वेयर खाली करने का कहा, इसके बाद सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी. आंसू गैस के गोले भी दागे गए. होम्स के निवासियों ने भी क्लॉक स्क्वेयर की ओर से फायरिंग की आवाजें आने की पुष्टि की है.
मानवाधिकार कार्यकर्ता के मुताबिक फायरिंग के बाद प्रदर्शन कर रहे लोगों में अफरा तरफी मच गई. कम से कम एक व्यक्ति घायल हुआ है. फायरिंग से पहले सीरिया के गृह मंत्रालय ने सरकारी टेलीविजन पर एक बयान भी जारी किया. बयान में प्रदर्शनकारियों को 'सशस्त्र विद्रोही' बताया गया.
सरकार ने कहा कि एक दो शहरों में, ''सलाफी संगठन के सशस्त्र गुट'' घूम रहे हैं. सलाफी को सुन्नी समुदाय का कट्टरपंथी धड़ा माना जाता है. कई अरब देशों की सरकारें सलाफी की तुलना अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन से करती हैं.
48 साल से इमरजेंसी कानून
सीरिया में 30 साल से असद परिवार का राज चल रहा है. 2000 में हाफिज अल असद की मौत के बाद उनके बेटे बशर अल असद को सत्ता मिली. देश में 48 साल से इमरजेंसी कानून लगा हुआ है. 1963 से लागू इमरजेंसी कानून के तहत सार्वजनिक तौर पर सभा करने और आंदोलन पर पाबंदी है, किसी भी व्यक्ति से पूछताछ की जा सकती है, निजी संचार माध्यमों पर नजर रखी जाती है और मीडिया पर सेंसरशिप लागू है.
पिछले हफ्ते राष्ट्रपति बशर अल असद ने इमरजेंसी कानून खत्म करने का एलान किया. उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते एक विधेयक लाकर इस कानून को खत्म किया जाएगा. लेकिन प्रदर्शनकारी इतने मात्र से संतुष्ट नहीं हैं. उनकी मांग है कि राष्ट्रपति असद पद से इस्तीफा दें. प्रदर्शनकारियों के प्रवक्ता ने कहा कि लोग ज्यादा आजादी और राजनीतिक कैदियों की रिहाई चाहते हैं. यह भी मांग है कि राजनीतिक साजिश के तहत गिरफ्तारियों की परम्परा खत्म हो.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार सीरिया में बीते कई दिनों से हो रहे प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 200 लोग मारे गए हैं. सुरक्षा बल आए दिन राजधानी सना और देश के दूसरे शहरों में प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया