सीरिया में आपातकाल हटाने का फैसला
२० अप्रैल २०११लेकिन इस नए कानून में भी कुछ ऐसी चीजें डाली गई हैं जो आजादी छीनने जैसी हैं. मसलन नए कानून में प्रदर्शन करने के लिए सरकार की इजाजत जरूरी बनाने का प्रस्ताव है.
सरकार के इस कदम के बावजूद देश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं. कार्यकर्ताओं के मुताबिक होम्स शहर में गोली लगने से तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई. आपात काल हटाने के एलान के बाद बानियास शहर में लोग सड़कों पर निकल आए. विपक्षी नेताओं ने कहा कि जब तक उनकी सारी मांगें नहीं मान ली जातीं, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे. प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए, देश में अभिव्यक्ति की आजादी लागू हो और राजनीति में बहुदलीय व्यवस्था लाई जाए.
48 साल बाद
सरकारी समाचार एजेंसी सना ने कहा कि कैबिनेट ने कानून के मसौदे को पारित कर दिया है. हालांकि अभी इस पर राष्ट्रपति बशर अल असद के दस्तखत होने हैं.
1963 में बाथ पार्टी ने तख्तापलट के जरिए सत्ता हासिल की थी. तब से देश में आपात काल लागू है. इसके तहत सुरक्षाबलों को असीम ताकत हासिल है.
पूरे अरब जगत में हो रही क्रांतियों से प्रेरित सीरिया के हजारों लोग देश में सुधारों की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. असद की सत्ता को यह अब तक की सबसे बड़ी चुनौती है. मानवाधिकार संगठन कहते हैं कि इन प्रदर्शनों में अब तक दो सौ से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
कठपुतली सरकार
देश की कैबिनेट को ज्यादा ताकत हासिल नहीं है और वह राष्ट्रपति असद के आदेशों पर मुहर लगाने का ही काम करती है. उसी कैबिनेट ने एक और कानून पास किया है. इसके तहत विशेष सुरक्षा अदालत को खत्म किया जा रहा है. मानवाधिकार वकीलों का कहना है कि यह अदालत मानवाधिकारों और निष्पक्ष मुकदमे के अधिकार का उल्लंघन है.
लेकिन इन सुधारों को लेकर प्रदर्शनकारी ज्यादा उत्साहित नहीं हैं. एक कार्यकर्ता अम्मार कुराबी ने कहा, "असद खुद ही आपात काल खत्म कर सकते थे. सरकार को कुछ भी जारी करने की जरूरत नहीं है. आपात काल हटाना राष्ट्रपति के हाथ में है."
विपक्ष के प्रभावशाली नेता और पूर्व जज हैथम माले ने कहा, "ये एलान बस बातें हैं. जब तक हमारी सारी मांगें नहीं मान ली जातीं या सत्ता बदल नहीं जाती, प्रदर्शन नहीं रुकेंगे."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ईशा भाटिया