राम विलास पासवान का निधन
८ अक्टूबर २०२०पासवान अभी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में उपभोक्ता मामलों, खाद्य और जनवितरण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. हाल ही में दिल्ली के एक अस्पताल में उनके दिल की सर्जरी हुई थी. गुरुवार को उन्होंने आखिरी सांस ली. उनके बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान ने ट्वीट कर बताया कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पासवान के निधन को ऐसी क्षति बताया है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. उन्होंने ट्वीट कर पासवान को एक मित्र और अमूल्य साथी कहा और उनके निधन को अपने लिए एक निजी क्षति बताया है.
पिछले कुछ हफ्तों से पासवान अस्पताल में भर्ती थे. उन्हें देश के सबसे जाने माने दलित नेताओं में गिना जाता था. वह बिहार के उन नेताओं में शामिल रहे जो जेपी आंदोलन से निकले और केंद्र की राजनीति में हमेशा प्रासंगिक बने रहे.
पासवान ने 74 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा. दो महीनों के भीतर वह दूसरे केंद्रीय मंत्री हैं जिनका निधन हुआ है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री सुरेश अंगदी का कोरोना वायरस के चलते निधन हो गया था.
पासवान ने 19 साल तक लोक जनशक्ति पार्टी का अध्यक्ष रहने के बाद पिछले साल नवंबर में अपने बेटे चिराग पासवान को पार्टी की कमान सौंप दी थी. लेकिन केंद्रीय मंत्री पद पर वह बने रहे.
अपने लंबे राजनीतिक करियर में पासवान केंद्र की कई सरकारों में मंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने रेलवे, श्रम, खनन, स्टील और संचार जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली. 2014 में उनके नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हुई. इससे पहले पासवान कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकारों और उससे पहले एनडीए की वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे. इसके अलावा विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा और आईके गुजराल की सरकारों में भी उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद संभाला था.
पासवान का निधन ऐसे समय में हुआ जब उनके गृह राज्य बिहार में आने वाले कुछ हफ्तों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. उनके बेटे चिराग पासवान पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. हालांकि उनकी पार्टी एनडीए गठबंधन के तहत बीजेपी और जेडीयू से अलग होकर चुनाव लड़ रही है.
एके/एमजे (रॉयटर्स)
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