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यूरोपीय भेदभाव विरोधी कानून पर जर्मनी में विवाद

महेश झा३ जुलाई २००८

यूरोपीय आयोग ने सदस्य देशों में सामाजिक अधिकारों को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी क़ानूनी परिवर्तनों का एक पैकेज जारी किया है. जर्मनी में अर्थ जगत को सबसे अधिक चिंता भेदभाव विरोधी नियमों से है.

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शारीरिक, सामाजिक विषमता न हो.तस्वीर: picture-alliance/dpa

अपनी बौद्धिक आंखों से यूरोपीय संघ के सामाजिक कमिसार व्‍लादीमिर श्पीडला एक ऐसे यूरोप की कल्पना करते हैं जहाँ कोई सीढ़ी हो ही नहीं. यदि बाधाहीन प्रवेश का उनका प्रस्ताव लागू हो जाता है तो जीवन के कई हिस्सों से सीढ़ियां समाप्त हो जाएंगी और ह्वील चेयर का उपयोग करने वाले लोगों के लिए दफ़्तरों, दुकानों और सार्वजनिक शौचालयों में चौड़े दरवाज़े बनेंगे. चेक गणतंत्र के श्पीडला कहते हैं कि लाखों लोग प्रभावित होंगे.

लेकिन शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों के साथ भेदभाव को दूर करना व्‍लादीमिर श्पीडला के भेदभाव विरोधी क़ानून का मात्र एक हिस्सा है. भविष्य में यूरोपीय नागरिकों के साथ उनकी उम्र, उनके यौन स्वभाव, चमड़े के रंग, धर्म या अपंगता के कारण भेदभाव नहीं किया जा सकता.

रोज़गार जीवन में तो इसके लिए क़ानून है लेकिन श्पीडला इसे दुकान, भाड़ा, बीमा कंपनी, स्कूल और चर्च जैसे समाज के दूसरे हिस्सों में भी लागू करना चाहते हैं. यूरोपीय आयोग को ऐतराज है कि समलैंगिक विवाह जर्मन राजपत्रित क़ानून का हिस्सा नहीं है और चर्च को अपने कर्मचारियों के चयन में बहुत आज़ादी है.

जर्मनी में सत्ताधारी सीडीयू सीएसयू और आर्थिक संगठन नए नियमों का विरोध कर रहे है. सीएसयू के संसदीय ग्रुप के नेता पेटर रामज़ावर ने तो यहां तक कह दिया है कि जर्मन सरकार इसे यूरोपीय मंत्री परिषद में रोक देगी. जर्मन सरकार ने पहले भी कहा है कि भेदभाव क़ानून में विस्तार के ख़िलाफ़ है.

इस पहल के आलोचकों में जर्मनी की सीडीयू के यूरोपीय सांसद थॉमस मान हैं जिनका कहना है कि इससे नौकरशाही बढ़ेगी. आर्थिक संगठनों का कहना है कि इससे उनके लिए खर्च बढ़ जाएगा. जर्मन कारीगर संघ के महासचिव हंस एबरहार्ड श्‍लायर का कहना है कि इससे पैदा होने वाले प्रभावों के साफ़ न होने से हमारे उद्यमों में असुरक्षा है और उसे हम स्वीकार नहीं कर सकते.

व्‍लादीमिर श्पीडला का कहना है कि सिर्फ़ जर्मनी में उनके प्रस्तावों का विरोध हो रहा है. जर्मनी में 2006 से ही एक भेदभाव विरोधी क़ानून लागू है जो यूरोपीय प्रस्तावों को लगभग पूरा करता है. उनका कहना है कि संशोधित सामाजिक एजेंडा सामाजिक न्याय वाले यूरोप के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है

यूरोपीय संसद के वामपंथी दल नए एजेंडे से संतुष्ट नहीं हैं. उनका कहना है कि सामाजिक विषमता दूर करने की सामाजिक कमिसार की योजना पर्याप्त नहीं है.