महिलाओं के लिए हेकड़ी की ट्रेनिंग
१७ सितम्बर २०१२अर्थशास्त्र के छात्र फिलिप वोइनोविच कोलोन के कॉन्फ्रेंस सेंटर के बाहर बैठे एक पत्रिका पढ़ रहे हैं कि पेटर मोडलर उन्हें अंदर बुलाते हैं. कमरे में 30 महिलाएं हैं जिन्होंने एक खास ट्रेनिंग के लिए 590 यूरो (करीब 42 हजार रुपये) दिए हैं. यह प्रशिक्षण है महिला प्रमुख को हेकड़ी सिखाना. फिलिप ऑफिस के लोगों की भूमिका निभाएंगे. वह या तो परेशान करने वाले साथी बनेंगे, या सीनियर या फिर बॉस.
वह इन महिलाओं का प्रेजेंटेशन सुनते हैं, उन्हें सुना जाता है, टोका जाता है या बीच में ही रोक दिया जाता है.इस सीन के बाद तालियां बजती हैं, सेमिनार में भाग लेने वाली महिलाओं के चेहरे खिल जाते हैं और 22 साल के फिलिप को फिर से बाहर भेज दिया जाता है. फिलिप अपनी एक्टिंग के बारे में कहते हैं, "मुझे महसूस हो रहा था कि अब चुप हो जाना चाहिए." विवाद वाले मुद्दे पर चर्चा के दौरान एक महिला ने स्पष्ट और दो टूक शब्दों में अपनी बात साफ कर दी कि मैं उसका विरोध ही नहीं कर सका." लेकिन इस दौरान उन्हें ऐसा नहीं लगा कि महिला ने बुरे तरीके से उनसे बात की हो.
पेटर मोडलर कहते हैं कि सेमिनार में झगड़े में हिस्सा लेने वाले पार्टनर की प्रतिक्रिया ऐसी ही रहती है, हालांकि वे इन महिलाओं को पहले से कुछ नहीं बताते हैं. एक बर्ताव जो महिलाओं को आहत करने वाला या अशिष्ट लगता है वही बर्ताव पुरुषों को एकदम सामान्य लगता है. फिर वह 25 साल के फिलिप हों या 70 साल का ट्रेनिंग पार्टनर. मोडलर ने एक मैनेजर, उद्यमी, शिक्षक और सलाहकार के तौर पर अनुभव किया है कि पुरुष और महिलाएं अलग अलग तरीके से संवाद करते हैं.
कोई भी प्रणाली अच्छी या बुरी नहीं है. बस एक दूसरे से अलग है. चूंकि बॉस के पद पर अभी भी अधिकतर पुरुष ही हैं इसलिए महिलाओं को पता होना चाहिए कि वह इस सिस्टम में कैसे काम करे. क्योंकि पुरुष और महिलाओं की मिली जुली टीम ज्यादा सक्षम होती है.
मोडलर के सेमिनार में अब तक करीब तीन हजार महिलाएं शामिल हो चुकी हैं और इस विषय पर उनकी किताब 'डास आरोगांस प्रिंजिप' (हेकड़ी का सिद्धांत) की चालीस हजार प्रतियां बिक चुकी है. रोजमर्रे में अधिकतर लोगों की तरह मोडलर को भी अहंकार या हेकड़ी पसंद नहीं. लेकिन उनका कहना है कि नेतृत्व कर रही महिलाओं के लिए विशेष स्थिति में यह अच्छा साबित हो सकता है. "जब आपको ऐसा लगे कि कोई मुझे गंभीरता से नहीं ले रहा है या मुझे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है." मोडलर अमेरिकी समाज भाषाशास्त्री डेबोरा टैनन के सिद्धांत का सहारा लेते हैं. आमतौर पर महिलाएं अपने संवाद में समानता, समरसता और संतुलन पर ध्यान देती हैं जबकि पुरुष पोजीशन के हिसाब से स्तर बांट देते हैं, अपने हाव भाव से उसे परखते रहते हैं."
मोडलर महिलाओं को समझाते हैं कि यदि पुरुष बातचीत की मेज पर कागजों के ढेर फैला देते हैं, अपना लैपटॉप या मोबाइल निकाल लेते हैं जबकि कॉन्फ्रेंस रूम में महिला बॉस तार्किक बहस की कोशिश में होती हैं, तो इसका मतलब होता है तब इलाका तय किया जा रहा है और बॉस के खिलाफ विद्रोह हो रहा है. कार उद्योग में पुरुषों के साथ काम करने वाली 27 साल की कैर्सटीन एल बताती हैं, "यही मैंने अपने सहकर्मियों में देखा था इसलिए मुझे आज बहुत हंसी आई." सेमिनार से उन्होंने सीखा है, "हम महिलाओं को कम और साफ शब्दों में बात करना चाहिए."
47 साल की बार्बरा टी को भी ऐसा ही लगता है कि एक समाज कल्याण संस्था के प्रमुख के तौर पर लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते. कोलोन में ट्रेनिंग के बाद उन्होंने तय किया है कि वह धीरे बोलेंगी और कम बोलेंगी. अपने हाव भाव पर ज्यादा ध्यान देंगी और खुद अपने तरीके भी बदलेंगी. वह अपने कमरे में अपने टेबल के पीछे नहीं छिपेंगी बल्कि सभी लोगों को हलो कहेंगी और अपनी उपस्थिति महसूस करवाएंगी.
समस्या
कई साल तक पेटर मोडलर ने पुरुषों के लिए भी महिलाओं के साथ संवाद की ट्रेनिंग रखी थी. इस कोर्स का नाम था- एलियंस के साथ काम करना. लेकिन इसमें शामिल होने वाले लोगों की कमी रहा करती थी. इस बीच वह एक महिला ट्रेनिंग पार्टनर के साथ एक मशीनरी कंपनी में मध्यस्तरीय मैनेजमेंट के पुरुष अधिकारियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. जब उन्होंने पुरुषों से पूछा कि महिलाओं के साथ बातचीत में उन्हें कब ठीक नहीं लगा तो पुरुष एक भी उदाहरण नहीं दे पाए. लेकिन एच आर विभाग से पूछताछ में कई उदाहरणों का पता चला. लेकिन पुरुषों ने इसे कभी महसूस नहीं किया. मोडलर कहते हैं कि नौकरी में पुरुष महिलाओं को उतनी गंभीरता से लेते नहीं.
बार्बरा टी को उम्मीद है कि उन्हें नौकरी पर एक तरह की भूमिका नहीं निभानी होगी कि पुरुष उन्हें स्वीकार करें. उन्हें शक है कि इस तरह से वे खुद बनी रह सकेंगी. कैर्सटीन इसे समस्या नहीं समझती. वह नौकरी में पुरुषों की भाषा को परायी भाषा के तौर पर लेती हैं. जबकि घर पर और महिलाओं के साथ वह अपनी भाषा बोल सकती हैं. "अगर मैं किसी चीनी से बात करती हूं तो मैं ऐसा नहीं मान सकती कि उसे जर्मन आती ही होगी. तो या तो हम इंग्लिश में बात करने की कोशिश करेंगे या फिर मुझे चीनी सीखनी होगी." कॉन्फ्रेंस टेबल पर युवा बॉस पुरुषों की किलेबंदी को तोड़ने की कोशिश करेंगी. कहती हैं, "ये दिलचस्प रहेगा. देखें क्या होता है."
रिपोर्ट: आंद्रेया ग्रुनाऊ/आभा मोंढे
संपादन: महेश झा