भारत: कंपनियों के बोर्ड में बढ़ रही महिलाओं की हिस्सेदारी
भारतीय कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है. एक नए अध्ययन के मुताबिक इस साल मार्च के अंत में एनएसई में सूचीबद्ध टॉप 500 कंपनियों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 18 फीसदी थी.
निदेशक मंडल में बढ़ रही है महिलाओं की संख्या
सलाहकार फर्म इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (आईआईएएस) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध शीर्ष 500 कंपनियों में इस साल मार्च के अंत में कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत थी.
लेकिन धीमी रफ्तार
भारतीय कंपनियों के बोर्ड में लिंग विविधता में सुधार हुआ है, लेकिन भारतीय कंपनियों के बोर्ड में 24 फीसदी महिलाओं के प्रतिनिधित्व के वैश्विक औसत से पीछे है.
2014 में थी छह प्रतिशत हिस्सेदारी
आईआईएएस की "कॉरपोरेट इंडिया: वुमेन ऑन बोर्ड्स" शीर्षक वाले अध्ययन में कहा गया है भारत में कंपनी के निदेशक मंडल बोर्ड में महिलाओं की नियुक्ति में प्रगति हुई है. 2014 में छह प्रतिशत से पांच साल पहले तक 14 प्रतिशत. इस समय निफ्टी-500 कंपनियों के निदेशकों में 17.6 प्रतिशत महिलाएं हैं.
पिछले तीन साल में रफ्तार एक प्रतिशत
रिपोर्ट कहती है कि पिछले तीन सालों में बोर्ड में महिलाओं की नियुक्ति कम हुई है और इसकी रफ्तार सिर्फ एक फीसदी रही. मौजूदा दर के आधार पर भारत में कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की 30 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने में 2058 तक का समय लगेगा.
बोर्ड में कितनी है महिलाओं की संख्या
मार्च 2022 में निफ्टी 500 कंपनियों में 4,694 निदेशक थे, जिनमें से 827 या 18 फीसदी के करीब महिला निदेशक थीं.
बाकी देशों में कैसा है हाल
आईआईएएस के अध्ययन के मुताबिक यूरोप और उत्तरी अमेरिका इस मामले वैश्विक औसत से ऊपर है. यहां पर कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी 34 फीसदी और 28 फीसदी है.
क्या कहता है कानून
केंद्र सरकार ने 2013 में कंपनी अधिनियम में संशोधन किया था, जिसके तहत कंपनियों के लिए अप्रैल 2014 से बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक होना अनिवार्य है. इससे पहले इन निफ्टी 500 कंपनियों के बोर्ड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 5 से 6 फीसदी के बीच था.