भविष्य में अकेले विधेयक बनाएगी सरकार
२६ जून २०११कपिल सिब्बल लोकपाल विधेयक को तैयार करने के लिए बनाई गई संयुक्त समिति के सदस्य हैं. उनका यह भी मानना है कि इस बार अन्ना हजारे की उपस्थिति का उदाहरण बनाकर भविष्य में ऐसा नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधेयक के मसौदे पर राजनीतिक पार्टियों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बहस की जाएगी.
लेकिन ऐसा दोबारा करना उनकी राय में सही नहीं होगा, "मैं नहीं कहता है कि इसकी मिसाल बनानी चाहिए. सरकार की स्थिति को देखते हुए यह एक ऐसा फैसला हैं जिसे हमने पूरे होशोहवास में लिया और मैं इसे (भविष्य में किसी और विधेयक के लिए) मिसाल नहीं मानता. सरकार एक खास स्थिति में थी."
मसौदा अभी बदला जाएगा
सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया कि विधेयक का मसौदा पूरी तरह पक्का नहीं है और इसमें पार्टियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बात कर के बदलाव लाए जाएंगे. जुलाई 3 को सरकार इस सिलसिले में विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर रही है. सिब्बल ने कहा कि अन्ना हजारे और उसके सहयोगी सरकारी प्रणाली के बाहर अपना अलग सिस्टम बनाना चाहते हैं जो "किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं होगा." उन्होंने कहा कि ऐसा होने नहीं दिया जाएगा.
जब सिब्बल से पूछा गया कि समिति अपनी तरफ से एक सामूहिक मसौदा क्यों नहीं बना पाई और काम क्यों बंद किया गया तो उन्होंने कहा, "कुछ बहुत ही जरूरी विषयों पर हमारे मतों और हमारी समझ में बहुत बड़ा अंतर था और कोई समझौता नहीं हो पाया." इस साल अप्रैल से लेकर अब तक समिति नौ बार बैठ चुकी है लेकिन लोकपाल विधेयक के सिलसिले में एक भी मसौदा नहीं पेश किया गया. उसके बाद फैसला लिया गया कि अन्ना हजारे के सहयोगियों और सरकारी प्रतिनिधियों के विधेयक को लेकर तर्कों को मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जाएगा.
कार्यकर्ताओं के साथ अनुभव 'सकारात्मक'
सिब्बल ने कहा कि लोकपाल के अंतर्गत प्रधानमंत्री को लाना समिति की बातचीत का केंद्रीय मुद्दा नहीं था और बात एक ऐसे प्राधिकरण के गठन के बारे में थी जो किसी के प्रति उत्तरदायी न हो. उन्होंने कहा, "आप कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि एक प्राधिकरण, जो (शासन) प्रणाली के बाहर है, वह एक पवित्र तरीके से काम करेगी, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह लोकपाल के अंतर्गत आती है. यह ऐसे मुद्दे हैं जिसे लेकर हमने चिंता जताई और इसी वजह से हमारे बीच मतभेद पैदा हुए."
लेकिन सिब्बल ने सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अपने अनुभव को सकारात्मक बताया और कहा कि वे अन्ना हजारे की टीम की सोच की आलोचना नहीं करना चाहते हैं. बाबा रामदेव के मामले पर सिब्बल ने कहा कि सरकार उनका 'भांडा फोड़ने में' सफल रही है. "हमने उनका भांडा फोड़ा है, मतलब कि वह हमारे साथ बात कर रहे थे और हमसे वादा भी कर रहे थे और रामलीला मैदान में जिस बात के लिए उन्हें अनुमति दी गई थी, उसका बिलकुल उल्टा कर रहे थे"
रिपोर्टः पीटीआई/एमजी
संपादनः महेश झा