भट्टी के अंतिम संस्कार में गुस्साए युवा
४ मार्च २०११पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी शुक्रवार को चर्च में उपस्थित थे. उन्होंने सलमान तासीर के अंतिम संस्कार में हिस्सा नहीं लिया था. हालांकि सरकार से और कोई भी इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं था. गृहमंत्री रहमान मलिक ने मीडिया को भट्टी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया. "मुझे लगता है यह उसकी गलती है. भट्टी हमेशा चर्चा से दूर रहना चाहते थे. यह उनका निर्णय था."
शाहबाज भट्टी के पैतृक गांव खुशपुर में शोक के तौर पर सभी घरों पर काले झंडे लगाए गए और सैकड़ों लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए. ईसाई अल्पसंख्यक अलायंस की एक सदस्य ने कहा कि इन आतंकियों को फांसी दी जानी चाहिए.
बदरुद्दीन नामक एक मुस्लिम ने कहा, "शहबाज भट्टी देश में आपसी भाईचारा बढ़ाने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे, लेकिन जो लोग पाकिस्तान को अस्थिर करना चाहते हैं, उन्होंने भट्टी की हत्या कर दी."
भट्टी इस साल में मारे जाने वाले दूसरे बड़े नेता हैं. इससे पहले प्रांतीय गवर्नर सलमान तासीर की ईशनिंदा कानून का विरोध करने पर जनवरी में हत्या कर दी गई थी. उन्हें उनके ही बॉडीगार्ड ने गोली मार दी थी.
सुरक्षा में चूक
भट्टी की सुरक्षा का इंतजाम नहीं था. वह बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के अपने ऑफिस की कार में इस्लामाबाद में अपने घर के करीब ही थे, तभी बंदूकधारियों ने उन पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं. भट्टी के शरीर में आठ गोलियां लगीं और घटना स्थल पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
सलमान तासीर की मौत के बाद भट्टी के रिश्तेदार ने यूसुफ निशान ने कहा था कि भट्टी को अपने सुरक्षा इंतजामों पर विश्वास नहीं है. भट्टी को गोली मारने के बाद हमलावरों ने घटना स्थल पर एक नोट छोड़ा था, जिसमें लिखा था कि भट्टी की हत्या ईशनिंदा कानून का विरोध करने पर पंजाबी तालिबान और अल कायदा ने की है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एस खान
संपादनः एस गौड़