बेरोजगारों की मदद के लिए आप्रवासन पर रोक लगाएंगे ट्रंप
२२ अप्रैल २०२०सोमवार की देर शाम बगैर अमेरिकी कांग्रेस या संसद की जानकारी के ट्रंप ने एक ट्वीट के जरिए कहा कि वे अस्थाई रूप से आप्रवासन पर पूरी तरह से रोक लगाने जा रहे हैं जिससे कि कोरोना वायरस संकट के दौरान नौकरियां गंवा चुके अमेरिकी नागरिकों के हितों की रक्षा की जा सके.
कॉर्पोरेट जगत के भारी विरोध के बाद उन्होंने मंगलवार को स्पष्ट किया कि यह रोक फिलहाल स्थाई आप्रवासन यानि ग्रीन गार्ड पर है और एच-1बी जैसे अस्थाई वीजा पर अमेरिका आनेवालों पर इसका असर नहीं पड़ेगा.
बड़ी तादाद भारतीयों की
अमेरिका में हर साल 85,000 लोग तीन साल की अवधि के लिए एच-1बी वीजा पर काम करने आते हैं और इनमें भारतीयों की बड़ी संख्या होती है. लातिनी अमेरिकी देशों से यहां के कृषि क्षेत्र में काम करने के लिए सीमित समय के लिए आने वाले कामगारों पर भी इसका असर नहीं पड़ेगा. टूरिस्ट और बिजनेस वीजा पर भी इसका असर नहीं होगा.
इस शासकीय आदेश का लिखित ब्योरा भी अभी जारी नहीं हुआ है और यह स्पष्ट नहीं है कि जो लोग बरसों से ग्रीन कार्ड की कतार में हैं उन पर इस 60 दिन की रोक का क्या असर होगा. अमेरिकी विश्लेषक ट्रंप के इस कदम को एक "राजनीतिक स्टंट” का नाम दे रहे हैं जिसका मकसद कोरोना वायरस संकट के खिलाफ ट्रंप प्रशासन की नाकामियों से ध्यान हटाना है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने 18 मार्च से ही भारत, चीन समेत दुनिया के ज्यादातर देशों में वीजा सेवाओं पर कोरोना महामारी की वजह से रोक लगाने का एलान करके अस्थाई आप्रवासन बंद कर रखा है. इसके अलावा दुनिया के ज्यादातर देशों ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपनी हवाई सेवाएं बंद कर रखी हैं. यूरोप से अमेरिका आने वाली उड़ाने बंद हैं. ऐसे में ट्रंप के इस आदेश को अपने आप्रवासन-विरोधी समर्थकों को खुश करने की कोशिश के तौर पर ही देखा जा रहा है.
आप्रवासन चुनावी मुद्दा
आप्रवासन पर रोक ट्रंप के 2016 की चुनावी मुहिम का सबसे प्रमुख मुद्दा था और उनके अब तक के कार्यकाल में इसे भारी अहमियत दी गई है. इस एलान के ट्वीट से पहले से ही उनके कई दक्षिणपंथी समर्थक आप्रवासन पर पूरी तरह से रोक लगाने का सुझाव दे रहे थे जिससे कि अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों पर आंच नहीं आए.
उनमें से कुछ ने आप्रवासन पर इस सीमित रोक के एलान पर निराशा जाहिर करते हुए कहा है कि एच-1बी वीजा पर यहां आने वाले अस्थाई कामगारों की वजह से ही अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां खतरे में हैं और यदि उन पर रोक नहीं लगाई गई तो इसका कोई असर नहीं होगा. ट्रंप ने अपने उन समर्थकों को मंगलवार को एक तरह का आश्वासन दिया कि इस शासकीय आदेश का एक अगला चरण भी होगा जिसमें और कदमों का एलान किया जाएगा.
कई शोधपत्रों और सर्वेक्षणों के जरिए यह स्पष्ट हो चुका है कि आप्रवासन से अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां प्रभावित नहीं होती बल्कि रोजगार के और नए अवसर पैदा होते हैं. इसके अलावा कोरोना वायरस संकट से जूझ रहे अमेरिकी तंत्र में डॉक्टरों और नर्सों के अलावा अन्य अनिवार्य सेवाओं से जुड़े लोगों में भारी तादाद आप्रवासियों की ही है.
अलग अलग दलीलें
गौर करने वाली बात यह भी है कि कोरोना संकट से पहले ट्रंप बेरोजगारी की रेकॉर्ड स्तर पर घटती दर का बखान कर रहे थे और उस वक्त भी दस लाख लोग सालाना तौर पर वैध आप्रवासन के जरिए अमेरिका में प्रवेश कर रहे थे. विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे में इस फैसले को कहीं से भी अर्थव्यवस्था से जोड़कर नहीं देखा जा सकता.
वॉल स्ट्रीट जरनल अखबार ने कड़े संपादकीय में ट्रंप को आगाह किया है कि यदि वे अपने राजनीतिक हितों और आगामी नवंबर के चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस फैसले को और आगे ले जाते हैं तो 2021 की सुबह अमेरिका शायद कोरोना वायरस से मुक्त हो लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था का भविष्य डांवाडोल हो चुका होगा.
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