फुटबॉल पर पाबंदी से बचा स्विट्जरलैंड
६ जनवरी २०१२अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संगठन फीफा ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि उसकी इमरजेंसी कमेटी ने फैसले पर विचार किया है और स्विस फुटबॉल संघ (एसएफवी) को फीफा की कार्यकारिणी के 16 दिसंबर के फैसले के संबंध में सस्पेंड नहीं किया जाएगा. बयान में यह भी कहा गया, "फीफा ने एसएफवी से कहा है कि वह इस मामले में आगे की कार्रवाई के बारे में जानकारी देता रहे." विश्व संस्था से निलंबन की तलवार को हटाने के लिए स्विट्जरलैंड को विद्रोही क्लब सियोन के 36 प्वाइंट्स काटने पड़े हैं. सियोन ने अयोग्य खिलाड़ियों के सवाल को सिविल कोर्ट में ले जाकर पर फीफा और उएफा की नाराजगी मोल ले ली थी.
फीफा ने जापान में हुई कार्यकारिणी बैठक में स्विट्जरलैंड को बाहर निकालने की धमकी दी थी. इसके पहले फीफा ने एसएफवी से सियोन के विरोधी क्लब को 3-0 की जीत देने का निर्देश दिया था जिसे एसएफवी ने यह कहकर ठुकरा दिया था कि इससे दूसरे क्लबों को प्वाइंट देने से लीग में गड़बड़ी पैदा हो जाएगी. स्विट्जरलैंड पर पाबंदी लगाने का मतलब यह होता कि वह कोई भी अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेल पाता और एफसी बाजेल की टीम चैंपियंस लीग के मैच नहीं खेल पाती. उसे अंतिम 16 वाले दौर में जर्मनी की प्रतिष्ठित क्लब बायर्न म्यूनिख के खिलाफ खेलना है. फीफा के इस फैसले की कड़ी आलोचना हुई है और पेशेवर खिलाड़ियों के विश्व संगठन फिफप्रो ने भी कहा है कि सियोन की गलती की सजा बाजेल के खिलाड़ियों को देना भूल होगी.
पिछले हफ्ते एसएफवी ने उन 12 घरेलू मैचों के लिए 3-3 प्वाइंट काट लिए, जिनमें सियोन ने गर्मियों में साइन किए किसी खिलाड़ियों को खिलाया था. हालांकि क्लब उस समय ट्रांसफर पर फीफा के प्रतिबंध के दायरे में था. सियोन ने ऐसे छह खिलाड़ियों को साइन कर लिया था जिन पर फीफा ने मिस्र के एक क्लब के खिलाड़ी को लुभाने की कोशिश का दोषी पाने पर बैन कर रखा था. बाद में ये खिलाड़ी अदालत चले गए जिसने खिलाड़ियों के हक में फैसला सुनाया. सियोन ने उन्हें घरेलू लीग में खिलाया.
उनमें से कुछ खिलाड़ियों को सेलटिक के खिलाफ यूरोप लीग के मैच में भी शामिल किया गया. यह मैच सियोन ने जीत लिया लेकिन उएफा ने उसे अयोग्य खिलाड़ियों को रखने की वजह से टूर्नामेंट से बाहर कर दिया. बाद में सियोन स्विट्जरलैंड के फौद शहर की अदालत में चला गया जहां उएफा का दफ्तर है. अदालत ने सियोन के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन मामले को कोर्ट ऑफ आर्बीट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स (सीएएस) में भेज दिया गया. सीएएस ने उएफा के पक्ष में फैसला सुनाया. इस बीच निचली अदालत के फैसले को एक ऊपरी अदालत ने बदल दिया.
पूरे मामले से स्विट्जरलैंड की भारी किरकिरी हुई और दूसरे क्लबों ने भी माना है कि खेल के मामले में देश की छवि को नुकसान पहुंचा. एक समय तो उएफा के प्रमुख मिशेल प्लाटीनी को अदालत में पेश होकर बताना पड़ा कि उनकी संस्था ने यूरोप लीग में सियोन को फिर से बहाल क्यों नहीं किया. सियोन अब 18 मैचों के बाद स्विस फुटबॉल लीग की तालिका में माइनस पांच अंकों के साथ सबसे नीचे है.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/महेश झा
संपादन: ए जमाल