नैनो आयरन ऑक्साइड, कैंसर के लिए मारक थैरेपी
२४ मई २०११विज्ञापन
इस तकनीक के कारण संभव हो सका कि ऊष्मा सटीक ट्यूमर तक पहुंचे और सिर्फ कैंसर की कोषिका पर ही केंद्रित हो. इसके विकास में 24 साल लगे. आन्द्रेयास जॉर्डन को चौबीस साल पहले इसका आयडिया आया था. उन्होंने मिलिमीटर के हजारवें हिस्से वाले धातु के पावडर के साथ प्रयोग शुरू किया लेकिन यह पार्टिकल बहुत बड़े थे और इसलिए आसानी से उन्हें आवेश में लाना मुश्किल था. पहली बार आयरन ऑक्साइड के कणों को नै नो फॉर्मेट में इस्तेमाल करने पर सफलता मिली. आयरन ऑक्साइड के यह नै नो कण एक मिलिमीटर के डेढ़ करोड़वें हिस्से जितने छोटे होते हैं.