ध्यान से लाई जा सकती है विश्व में शांतिः रवि शंकर
८ जून २०११बर्लिन के 1936 के ओलंपिक खेलों के लिए बनाए गए स्टेडियम में योग और ध्यान के खास महोत्सव वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है. 2 और 3 जुलाई को होने वाले इस कार्यक्रम में 70,000 लोग गुरू श्री श्री रवि शंकर के साथ 25 मिनट तक ध्यान केंद्रित करेंगे. आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक और 55 वर्षीय रवि शंकर ने इस कार्यक्रम की योजना बनाई है और आयोजक उम्मीद करते हैं कि 150 देशों से आ रहे लोग बर्लिन में 48 घंटों तक संगीत, ध्यान और शांति में खोए रहेंगे. कुछ राजनेता भी कार्यक्रम में अपने विचार पेश करेंगे.
दिल से बच्चे हैं रवि शंकर
बर्लिन के फाइव स्टार मारिटीम होटल में रह रहे रवि शंकर का कहना है कि एक पूरे स्टेडियम में एक साथ साधना करने से लोगों के बीच एकता कायम होगी. उन्होंने कहा कि इतने बड़े स्तर पर ध्यान का ख्याल अजीब लग सकता है लेकिन उससे विश्व शांति को जरूर फायदा होगा. रवि शंकर खुद को गुरु कहना पसंद नहीं करते. वह कहते हैं, "मैं दिल से अब भी बच्चा हूं जो बड़ा होना नहीं चाहता. मैं लोगों को साथ लाना चाहता हूं.."
जर्मनी के बारे में रवि शंकर ने कहा कि जर्मनी यूरोप का दिल है. वह पहली बार 1981 में विभाजित जर्मनी आए. "उस वक्त मैंने दिल से कामना की कि बर्लिन एक हो जाए. हमने शांति के लिए साधना की और मैंने कहा, ऐसा होने वाला है लेकिन लोगों ने मेरी बात नहीं सुनी. उन्हें लगा कि भारत का यह छोटा सा आदमी, इसे पता नहीं कि यह क्या बोल रहा है. मैंने कहा जर्मनी एक होगा. इसलिए 30 साल बाद हम जर्मनी में खुशी मना रहे हैं."
जिस स्टेडियम में रवि शंकर अपने कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं वह हिटलर के शासनकाल की एक बड़ी निशानी थी. हिटलर ने इसी स्टेडियम में बैठकर ओलंपिक खेल देखे. रवि शंकर कहते हैं कि वह उसी जगह पर खड़े हो कर शांति और एकता का प्रचार करेंगे.
संघर्ष मिटाता ध्यान
पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव पर रवि शंकर का कहना है कि वह हमेशा शांति लाने में लगे रहते हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर, इराक और फलस्तीन में वह संघर्ष को खत्म करने के लिए खास सम्मेलनों का आयोजन करते हैं. इस साल के अंत में बैंगलोर में इमाम और यहूदी धार्मिक नेता रब्बियों के लिए खास बैठक होगी.
संघर्ष के बारे में रवि शंकर कहते हैं कि सब कुछ तनाव की वजह से होता है. "संघर्ष लोगों के दिमाग में पैदा होता है. वह आसमान से नहीं गिरता. मन सारी परेशानी की जड़ है क्योंकि मन में तनाव होता है, समझने की क्षमता कम हो जाती है और संघर्ष पैदा होता है." रवि शंकर का कहना है कि इराक में संघर्ष भी सद्दाम हुसैन के मन में तनाव की वजह से हुआ. "अगर उसकी जिंदगी तनावरहित होती और वह इतना अभिमानी नहीं होता, तो काफी नुकसान रोका जा सकता था."
रवि शंकर को उम्मीद है कि उनके दो दिन के योग और ध्यान कार्यक्रम से विश्व की सारी परेशानियों को दूर करने की तरफ एक कदम बढ़ाया जा सकेगा, चाहे वह मध्यपूर्व विवाद हो, या भारत पाकिस्तान या फिर इस्लामी आतंकवाद. रवि शंकर का कहना है कि इस तरह के बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक महोत्सवों से ही लोग अपने रवैये में बदलाव ला सकेंगे.
रिपोर्टः डीपीए/एमजी
संपादनः ए कुमार