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दुश्मन देशों के बीच कूटनीति का टेबल टेनिस

२२ नवम्बर २०११

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया, भारत और पाकिस्तान इनके नाम साथ जुड़ने के लिए नहीं बल्कि मुकाबले में एक दूसरे का सामना करने के लिए ज्यादा सुर्खियां बटोरते हैं. आप इसे 21वीं सदी की कूटनीति भी कह सकते हैं पर ये जुड़ रहे हैं.

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तस्वीर: AP

दुबई में मंगलवार को टेबल टेनिस का एक दिवसीय टूर्नामेंट प्रतिद्वंदी देशों के बीच शांति को बढ़ावा देने के मकसद से खेला जा रहा है. भारत-पाकिस्तान, उत्तर कोरिया- दक्षिण कोरिया के अलावा मुकाबले में शामिल हो रही खिलाड़ियों की दूसरी जोड़ियां भी दिलचस्प हैं. दूसरी टीमों में रूस और अमेरिका, चीन और कतर, फ्रांस और जापान इस तरह से जोड़ी बनाई गई है. इन अनोखी जोड़ियों वाले टेबल टेनिस टूर्नामेंट के डबल्स इवेंट को मोनाको की पीस एंड पोर्ट नाम की एक संस्था ने प्रायोजित किया है.

Cricket World Cup Semifinal India Pakistan Flash-Galerie
तस्वीर: AP

अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस महासंघ के प्रवक्ता इयान मार्शल ने कहा कि इस आयोजन का फल तो मुकाबले से पहले ही मिल गया है. उत्तर और दक्षिण कोरियाई खिलाड़ी पिछले दो दिन से साथ हैं और सोमवार को स्वागत भोज पर भी दोनों गलबहियां करते नजर आए. इयान मार्शल ने बताया, "दोनों सोमवार सुबह आपस में मिले और फिर स्थानीय बच्चों से मुलाकात की. दोनों एक दूसरे से बात कर रहे हैं और अच्छे दोस्त बन गए हैं. यहां हमारी कोशिश यही हासिल करने की है."

मुकाबले की 10 टीमों में ईरान का भी नाम था लेकिन बिना कारण बताए उसका नाम वापस ले लिया गया. मेजबान देश कतर दुनिया के मंच पर खेल आयोजन के जरिए अपनी नई पहचान बनाने की ख्वाहिश रखता है. खाड़ी के इस देश ने 2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी हासिल कर ली है और जल्दी ही वह ओलिम्पिक के आयोजन के लिए भी अपनी दावेदारी पेश करेगा.

Olympia 2008 Deutschland China Tischtennis Timo Boll
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कतर इन आयोजनों के जरिए अपनी लोकतांत्रिक छवि पेश करना चाहता है. कतर ने इससे पहले लेबनान और सूडान के दारफुर इलाके के बीच चले आ रहे विवाद को खत्म करने के लिए बातचीत की मेजबानी की. इसके अलावा सीरिया में खूनखराबा रोकने की अरब लीग की कोशिशों में भी वह बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है.

भारत और पाकिस्तान आपस में कई जंग लड़ चुके हैं और इसके बाद भी दोनों देश कई बार जंग के करीब पहुंच जाते हैं, खासतौर से कश्मीर के मामले में. इसी तरह दोनों कोरियाई देश भी तकनीकी रूप से देखा जाए तो 1950 के बाद से एक तरह से लगातार जंग जैसी स्थिति में ही रह रहे हैं. क्षेत्रीय विवाद में कोई छोटी सी भी चिंगारी कब शोला बन कर बारुद उगलने लगे पता नहीं चलाता. पिछले साल ही दक्षिण कोरिया पर दो बार सैन्य हमले हुए. इस बीच पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में भी खटास आई है. अमेरिकी ड्रोन हमला और ओसामा बिन लादेन को मारने की गोपनीय कार्रवाई का दोनों के रिश्तों पर बहुत बुरा असर हुआ है.

सिर्फ इतना ही क्यों, चीन और अमेरिका के रिश्ते भी चीन की बढ़ती आर्थिक ताकत के साथ शंका की कड़वाहटों से भरते जा रहे हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों में दोनों के रिश्तों में काफी सुधार भी हुआ है. 40 साल पहले शुरू की गई ढुलमुल कूटनीति का असर कुछ कुछ दिखने लगा है. उस वक्त पहली बार अमेरिका के 9 खिलाड़ियों ने अपने मजबूत प्रतिद्वंदियों से चीन की धरती पर मुकाबला किया था.

रिपोर्टः एपी/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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