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दुनिया भर के कंप्युटर बने 'घोस्टनेट' का निशाना

३० मार्च २००९

कई देशों की सरकारों और निजी कंप्युटरों की कथित जासूसी करने वाले एक नेटवर्क का पता चलने का दावा कनाडा के शोधकर्ताओं ने किया है. 'घोस्टनेट' नेटवर्क 103 देशों के क़रीब 1300 कंप्युटरों की ख़ुफ़िया जानकारियों को चुरा रहा था.

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103 देशों के क़रीब 1300 कंप्युटर पर 'हमला'तस्वीर: dpa

शोधकर्ताओं का कहना था कि ये सूचनाएं राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण थीं. रिपोर्टों के मुताबिक़ इस नेटवर्क का संचालन मुख्य रूप से चीन से हो रहा था और इसमें दलाई लामा से जुड़ी ख़ास जानकारी पर नज़र रखी जा रही थी.

Chefsessel mit Laptop Auge
सब पर नज़र हैतस्वीर: dpa zb

भारत भी इस नेटवर्क से बच नहीं पाया. जिन कंप्युटरों से बेहद अहम जानकारियों को चुराया जा रहा था उनमें भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान, थाईलैंड और ताईवान के दूतावास कंप्युटर शामिल हैं. इसके अलावा सायप्रस, जर्मनी, माल्टा, पुर्तगाल और रूमानिया के दूतावास और बांग्लादेश, भूटान, ईरान और लातविया के विदेश विभाग के कंप्युटर भी घोस्टनेट नेटवर्क का निशाना बने.

दिलचस्प बात यह है कि अधिकतर मामलों में कर्मचारियों को पता ही नहीं था कि उनके सिस्टम से बेहद अहम जानकारियां कोई और जब चाहे तब देख रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन कंप्युटरों से सूचनाओं को चुराया गया उसमें से 30 प्रतिशत बेहद महत्वपूर्ण थे.

इनमें विभिन्न देशों के विदेश विभाग, अंतरराष्ट्रीय संगठन, मीडिया संगठन, और दूतावास शामिल हैं. दलाई लामा के साथ काम करने वाले लोगों को जब शक़ हुआ तो उन्होंने इस जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के लिए जांच शुरू करने का आग्रह किया.

Dalai Lama in Johannesburg, Südafrika
दलाई लामा से जुड़ी जानकारी पर ख़ास ध्यानतस्वीर: picture-alliance / dpa

इसके बाद क़रीब 10 महीनों तक इन्फ़ोर्मेशन वॉरफ़ेयर मॉनीटर संगठन ने जांच की और पाया कि चीन में कोई नेटवर्क है जो अधिकतर सूचनाओं को चुरा रहा है. रिपोर्ट में ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जिन लोगों ने ख़ुफ़िया जानकारियां हासिल की क्या उन्होंने ऐसा अनजाने में किया या फिर उनका कोई मक़सद था. इस बात के भी सुबूत नहीं मिले हैं कि इस नेटवर्क के पीछे चीन सरकार का कोई हाथ है.

चीन ने इसके लिए ज़िम्मेदार होने से इन्कार किया है. लंदन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता का कहना है कि ये रिपोर्ट तिब्बत आंदोलन से जुड़े लोगों का प्रोपेगेंडा है. उनके अनुसार चीन में किसी दूसरे के कंप्युटर से ख़ुफ़िया जानकारियों को चुराना अपराध की श्रेणी में आता है. वैसे शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि घोस्टनेट नेटवर्क अभी भी कई कंप्युटरों पर नज़र रखे हुए है.

रिपोर्ट : एजेंसियां

एडीटर : सचिन गौड़