दिल्ली के दंगों में मरने वालों की तादाद 20 तक पहुंची
२६ फ़रवरी २०२०दिल्ली हाई कोर्ट ने इस हिंसा के बीच एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप करते हुए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि दंगे भड़कने से पहले सामने आए नेताओं के भड़काऊ भाषणों पर तुरंत एफआईआर दर्ज करे. अदालत ने विशेष रूप से इन चार बीजेपी नेताओं के भाषणों का जिक्र किया - केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा, विधायक अभय वर्मा और पूर्व विधायक कपिल मिश्रा.
जब दिल्ली पुलिस के अधिकारी और केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने ये भाषण नहीं सुने हैं, तब जस्टिस मुरलीधर के आदेश पर इन चारों के भाषणों के अंश को अदालत में दिखाया गया.
दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए जस्टिस मुरलीधर ने कहा, "यह वाकई में चिंताजनक है... मैं दिल्ली पुलिस के हालत पर विस्मित हूं." सुनवाई एक्टिविस्ट हर्ष मंदर की याचिका पर हो रही थी जिसमें उन्होंने हाई कोर्ट से इन दंगों की सच्चाई जानने के लिए एक स्वतंत्र जांच की अपील की है. निर्देश देने के बाद सुनवाई 27 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई.
दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बुधवार को कहा, "20 लोगों की जान गई है और 189 लोग घायल हुए हैं." उधर अल हिंद अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक कम से कम 200 घायलों का इलाज अस्पताल में हुआ है. इनमें से कई लोग बुरी तरह घायल हैं.
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.उन्होंने जल्दी से जल्दी शांति और सामान्य जनजीवन बहाल करने को कहा है.
दिल्ली की हिंसा को बीते दशकों में सबसे खराब कहा जा रहा है. पुलिस ने भीड़ को भगाने के लिए आंसू गैस, पैलेट और धुएं वाले ग्रेनेड का इस्तेमाल किया है लेकिन खुद पुलिस को भी हिंसक भीड़ के पथराव का सामना करना पड़ा है. बुधवार को दंगा प्रभावित कुछ इलाके खाली नजर आए, एक चश्मदीद ने वहां भारी संख्या में अर्धसैनिक बल और पुलिस की तैनाती की पुष्टि की है. दिल्ली नए नागरिकता कानून पर चल रहे देश भर में विरोध के केंद्र में है. दिल्ली में अशांति भी कानून के विरोधियों और समर्थकों के बीच झड़प के कारण फैली है.
रॉयटर्स को इस चश्मदीद ने बताया कि मंगलवार को उत्तर पूर्वी दिल्ली के कुछ इलाकों में दंगाइयों की भीड़ डंडे, पाइप और पत्थर लेकर सड़कों पर उतरी और उसने आगजनी, लूटपाट और पथरवा किया. टायर मार्केट से गहरा काला धुआं उठता दिखा, यहां आग लगा दी गई थी जिस पर काबू पाने में दमकल विभाग के कर्मचारी जूझ रहे थे.
इलाके से गोलियों के चलने की आवाजें भी सुनाई दे रही थीं और अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक घायलों में कई लोग गोलियों से जख्मी हुए हैं. बुधवार को अब तक किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं है. दिल्ली दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया, "हिंसा प्रभावित इलाकों में स्थिति कल की तुलना में बेहतर है. सड़कों पर दंगाई नहीं हैं और हमारी गाड़ियां आराम से वहां पहुंच पा पही हैं." इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इलाके में ज्यादा गाड़ियों और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा गया है.
दंगों के दौरान कम से कम दो मस्जिदों को भी निशाना बनाया गया और उनमें आग लगा दी गई. घायलों में हिंदू और मुसलमान दोनों समुदाय के लोग हैं.
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कानून व्यवस्था के हालात का जायजा लेने और खराब हालत पर नियंत्रण के लिए कल कई बैठकें की. दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय पर ही है. उन्होंने नेताओं से भड़काऊ बयान देने से बचने को कहा है. उनका कहना है कि इन बयानों के कारण तनाव और बढ़ सकता है. गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस के एक विशेष आयुक्त को भी हालात को नियंत्रित करने के लिए नियुक्त किया है.
रविवार 23 फरवरी को बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भड़काऊ ट्वीट करने शुरू किए और नागरिकता कानून के समर्थन में लोगों को जाफराबाद में जमा होने के लिए कहा.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार मिश्रा जब वाकई उस इलाके में अपने समर्थकों के साथ पहुंच गए, उसके बाद घटनाक्रम ने हिंसक मोड़ ले लिया, दो गुटों के बीच में पत्थरबाजी हुई और आगजनी भी हुई. कपिल मिश्रा ने खुले आम पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा, "ट्रंप के रहने तक तो हम सब शांति से जा रहे हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे".
शाम होते होते पूरे इलाके में शांति बहाल करने के लिए पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला लेकिन सोमवार सुबह हालात फिर बिगड़ गए. देखते ही देखते झड़पें हिंसक हो गईं, पत्थरबाजी हुई और कई वाहनों और दुकानों को आग लगा दीय गई.
एनआर/आईबी (रॉयटर्स, एएफपी)
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