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डिजीटल दोस्तों की एनालॉग मुलाक़ात

५ फ़रवरी २०१०

फेसबुक या ट्विटर जैसे नेटवर्कों के ज़रिए संबंध बनते है, व्यक्तिगत दोस्तों की भी कड़ी बनती जाती है. सोशल नेटवर्क के डिजीटल दायरे के संपर्क से बाहर निकलकर बर्लिन में कुछ नेटवर्कर बिल्कुल ऐनालोग तरीके से मिल रहे हैं.

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इस बीच पता चला है कि फ़ेसबुक या ट्विटर जैसे सभी नेटवर्कों को अगर जोड़ा जाए, तो वह चीन और भारत के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी होगी. वे इंटरनेट पर इन नेटवर्कों में एक-दूसरे से संपर्क करते हैं, कभी गंभीर बातें होती हैं, तो कभी हल्की-फ़ुल्की, मसलन आज कहीं जाने का मन नहीं कर रहा है. लेकिन इस बीच डिजीटल दुनिया में एक दूसरे से मिलने वाले पुराने तरीक़े से, यानी आमने-सामने होकर मिलने लगे हैं. पिछले साल न्यूयार्क में सोशल मीडिया वीक का आयोजन किया गया था और इस साल पहली बार बर्लिन में ऐसी एक कांफ़्रेंस हो रही है. बर्लिन सोशल मीडिया वीक की थीम है 'विवादः वेब की दुनिया में रचनात्मक अंतर्विरोध.' इस कांफ़्रेंस के भागीदार अलग-अलग पहलक़दमियों के बीच संपर्क स्थापित करना चाहते हैं और साझेदारी तैयार करना चाहते हैं.

विज्ञापन जगत के लिए वेब की दुनिया और सोशल नेटवर्क लगातार महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं. सोशल मीडिया वीक जैसे आयोजनों के ज़रिए एक सांगठनिक संरचना भी बनाने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा इस जगत के साथ एक बेहद अहम सांस्कृतिक सवाल भी जुड़ा हुआ है. जब निजी दुनिया और उसके जज़्बात वेब के माध्यम से सार्वजनिक होती है, तो उसके मूल्यों के बारे में विमर्श ज़रूरी हो जाता है.

बर्लिन के क्रॉएत्ज़बैर्ग मुहल्ले में जहां यह कांफ़्रेंस हो रही है, वहां कोई वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन भी नहीं है. लेकिन कांफ़्रेंस के डिजीटल भागीदार इससे क़तई परेशान नहीं दिखा. एक युवा भागीदार, सिमोन कोलुंबुस का कहना है, "मैं समझता हूं कि यह एक समस्या है कि चूंकि ऑनलाइन में हमेशा रहा जा सकता है, इसलिए कुछ लोग हमेशा रहना चाहते हैं. यह समस्या इसलिए है क्योंकि फिर संपर्क एक पृष्ठभूमि की तरह हो जाता है, अपना सामाजिक महत्व खो बैठता है. सचेत होकर संपर्क बनाना, और साथ ही, स्विच ऑफ़ कर सकना बहुत महत्वपूर्ण है."

तो सोशल नेटवर्कों में मुलाक़ातें होती रहेंगी, ब्लॉग पर विचार व्यक्त किए जाते रहेंगे, लेकिन एक बात याद रखनी पड़ेगी - कौन से विचार? बर्लिन के सोशल मीडिया वीक जैसे आयोजनों के ज़रिए बेशक कुछ नए विचार सामने आएंगे.

रिपोर्ट: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: राम यादव