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जी20 शिखर सम्मेलन के बहाने निशाने पर सऊदी अरब

१८ नवम्बर २०२०

सऊदी अरब जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला पहला अरब देश है. ऐसे में, कई संगठन उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठा रहे हैं, जिसमें महिला कार्यकर्ताओं को जेल में डालने से लेकर उन्हें गायब करना तक शामिल है.

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Saudi-Arabien König Salman bin Abdulaziz Al Saud
सऊदी शाह सलमान करेंगे सम्मेलन की अध्यक्षतातस्वीर: DPISA/Xinhua/picture-alliance

जी20 देशों का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन शनिवार से शुरू हो रहा है. हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए सम्मेलन वर्चुअल ही होगा. इस संगठन में दुनिया के सबसे अमीर और उभरते हुए देश शामिल हैं. भारत और जर्मनी समेत 19 देशों के अलावा यूरोपीय संघ इसका बीसवां सदस्य है.

जी20 सम्मेलन ऐसा मंच होता है जहां दुनिया के बड़े नेता एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं. लेकिन सम्मेलन वर्चुअल होने की वजह से यह संपर्क इस बार सीमित होगा. सम्मेलन में कोरोना महामारी से लेकर जलवायु परिवर्तन और बढ़ती असमानता तक कई मुद्दों पर चर्चा होगी. सम्मेलन में महामारी से बेहाल विश्व अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के बारे में भी बात होगी. मेजबान होने के नाते सऊदी शाह सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे. यमन में जारी युद्ध और अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड समेत कई मुद्दों पर आलोचना झेल रहा सऊदी अरब कूटनीतिक नजरिए जी20 की मेजबानी को बहुत अहमियत दे रहा है.  

जी20 के सदस्य
जी20 के सदस्य और मेहमान देश

आलोचना

दूसरी तरफ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सऊदी जेलों में रखे गए कार्यकर्ताओं के रिश्तेदारों ने विश्व नेताओं से इस सम्मेलन के बहिष्कार की अपील की है. वे चाहते हैं कि मानवाधिकारों के हनन से जुड़े मुद्दे पर सऊदी अरब पर दबाव डाला जाए.

इससे पहले अमेरिकी संसद के 45 सदस्यों ने अपनी सरकार से आग्रह किया था कि अगर सऊदी अरब मानवाधिकारों के हनन को रोकने पर ध्यान नहीं देता, तो उसकी मेजबानी में होने वाले जी20 के सम्मेलन का बहिष्कार किया जाए. अमेरिकी सांसदों ने इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉमपेयो को पत्र भी लिखा. पिछले महीने यूरोपीय सांसदों ने भी एक प्रस्ताव पास कर सऊदी अरब में मानवाधिकारों की खराब स्थित पर चिंता जताई थी.

अमेरिकी सांसदों की मांग है कि सऊदी अरब को अपनी जेल में बंद कार्यकर्ताओं को रिहा करना चाहिए जिनमें कई महिलाएं भी शामिल हैं. उन्होंने यमन में जारी सैन्य अभियान को भी खत्म करने की मांग की है और 2017 में इस्तांबुल के सऊदी कंसुलेट में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में भी जवाबदेही तय करने को कहा है.

अमेरिकी सांसदों के पत्र में कहा गया, "दुनिया का एक अग्रणीय लोकतंत्र और मानवाधिकारों का पैरोकार होने के नाते हमारे देश की सरकार को सऊदी अरब में मानवाधिकारों के हनन के मुद्दे पर बड़े बदलाव की मांग करनी चाहिए." अमेरिका सऊदी अरब का नजदीकी सहयोगी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का समर्थक है, जिनके हाथ में सऊदी अरब की असल बागडोर है.

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सऊदी अरब में सुधार

जी20 शिखर सम्मेलन से पहले पिछले दिनों सऊदी अरब ने दो दिन का वीमन20 शिखर सम्मेलन भी कराया, जिसका मकसद लैंगिक समानता पर जोर देना था. इस सम्मेलन में सऊदी शाह सलमान के भाषण को उनके एक मंत्री ने पढ़ा. इसमें कहा गया, "जी20 के अध्यक्ष के तौर पर सऊदी अरब ने महिलाओं से जुड़ी नीतियों पर चर्चा की तरफ विशेष रूप से ध्यान दिया है... सऊदी अरब ने बड़े सुधार किए हैं जिनके तहत महिलाओं को सशक्त किया जा रहा है."     

हाल के समय में सऊदी अरब ने दकयानूनी समाज की अपनी छवि को तोड़ने कई सुधार किए हैं. जैसे कि सिनेमा खोलने की अनुमति दी गई है, अब किसी कंसर्ट में महिला और पुरुष एक साथ जा सकते हैं. इसके अलावा महिलाओं को ड्राइविंग की अनुमति देने के साथ साथ और कई अधिकार दिए गए हैं.

लेकिन मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है, "सऊदी अरब में साहसी महिलाओं का उत्पीड़न किया जाता है और सऊदी अरब खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुधारक के तौर पर पेश करता है." लंदन स्थित एक मानवाधिकार समूह एएलक्यूएसटी के कार्यकारी निदेशक सफा अल अहमद कहते हैं, "सऊदी नेताओं को उनके मानवाधिकार रिकॉर्ड पर लीपापोती करने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए."

एके/ओएसजे (एएफपी)

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