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जर्मन फ़ुटबॉल टीम का बर्लिन में भव्य स्वागत

३० जून २००८

यूरोकप के फ़ाइनल में स्पेन से हार कर घर वापस लौटी जर्मन टीम का आज राजधानी बर्लिन में जोशीला स्वागत किया. राष्ट्रीय टीम के सदस्यों ने राजधानी की मेहमान पुस्तिका में भी हस्ताक्षर किया.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूरोकप के फ़ाइनल में स्पेन से हार कर दूसरा स्थान पाने वाली जर्मनी की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल टीम वापस लौट आई है और आज राजधानी बर्लिन में फेंन्स ने उसका भव्य स्वागत किया. कल शाम पाँच लाख से अधिक लोग पब्लिक व्यूइंग में मैच देखने के लिए मौजूद थे, अगर जर्मनी जीत गया होता तो ज़रूर आज कुछ ज्यादा लोग खिलाड़ियों के स्वागत के लिए आते लेकिन फिर भी लगभग एक लाख लोगअपनी टीम का स्वागत करने पहुंचे थे.

रविवार शाम यूरो कप 2008 के फ़ाइनल में स्पेन ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए जर्मनी की टीम को 1-0 से हरा दिया. स्पेन के लिए यह चौवालीस साल बाद पहली बड़ी विजय थी.

1-0 की जीतें शायद ही कभी इतनी साफ़ होती हैं. जर्मन फ़ुटबॉल प्रेमियों के अलावा सारी दुनिया के दर्शकों ने यूरोप कप के फ़ाइनल में बेहतर खेल की उम्मीद की थी. लेकिन जर्मन खेल समीक्षक इस बात पर सहमत हैं कि जर्मन टीम ने फ़ाइनल में पिछले सालों का सबसे ख़राब प्रदर्शन किया. अंत में तो लड़ने का जीवट भी नहीं दिखा, हालांकि अपना जुझारू खेल दिखाकर ट्रेनर योआखिम लोएव की टीम फ़ाइनल तक पहुंची थी.

और चार दशक बाद कोई बड़ा टूर्नामेंट जीतनेवाली स्पेन की टीम ने न सिर्फ़ बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया बल्किन यह भी दिखाया कि भविष्य का फ़ुटबॉल कैसा होना चाहिए. एक खेल जिसके केंद्र में ताक़त, तेज़ी और जोश न होकर खेलने का आनंद और बॉल के साथ कलात्मकता होनी होनी चाहिए.

और जब स्पेन की टीम यूरोकप लेकर स्टेडियम के चारों ओर चक्कर लगा रही थी और अपने फैन्स तथा दर्शकों का शुक्रिया अदा कर रही थी तो शायद ही कोई ऐसा हो जिसे स्पेन की जीत पर शक रहा हो. स्पेन की टीम पूरे टूर्नामेंट में अपराजित तो रही ही, उसके फ़ाइन में भी बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया. शावी के पास पर स्ट्राइकर फ़र्नांडो टोरेस ने तैंतीसवें मिनट में जीत के लिए ज़रूरी का एकमात्र गोल किया.

जी के बाद स्पेन में खुशी की लहर दौड़ गई तो जर्मनी में मातम का माहौल था. देश के पूर्वी हिस्से के कुछ शहरों से उपद्रव की भी ख़बर आई. पुलिस का कहना है कि इसमें बहुत से लोग घायल हो गए. माग्देबुर्ग में पुलिस ने दर्ज़नों दंगाईयोंको गिरफ़्तार कर लिया.

खेल के दौरान अंतिम मिनट तक हर जर्मन फैन इस बात की इंतज़ार कर रहा था कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और तुर्की वाले अंदाज़ में जर्मन टीम कोई गोल कर दे. लेकिन मिशाएल बालाक के बालक हिम्मत खो चुके थे और गेंद को स्पेन के गोल तक ले जाने की हर शुरुआत को स्पेन के ख़िलाड़ी नाकाम कर देते थे.

बाद में जर्मन टीम के कप्तान बालाक के लिए यही कहने के लिए रह गया था कि टीम टूर्नामेंट में बहुत अच्छा खेली लेकिन एक दो ग़ल्तियां ज़्यादा हो गईं. जर्मन खिलाड़ियों की निराशा खेल खत्म होने के बाद मैदान पर भी झलक रही थीं. तभी मैच देखने वियना गई चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जर्मनी स्पेन की जीत पर ख़ुशी का इज़हार करेगा और जर्मन फैंस टीम को दोस्ती भरा हेलो कहेंगे.

जर्मन फैंस अपनी निराशा पर इस बीच एक रात सो चुके हैं. जर्मनी के दूसरे शहरों में तो जनजीवन सामान्य हो चुका है लेकिन बर्लिन में स्वदेश वापसी पर आज जर्मन टीम का भारी स्वागत हुआ.