जर्मनी में पढाई के बोझ तले दबा खेल कूद
२० अप्रैल २०१२जर्मनी में नए नियमों के तहत बच्चों को स्कूल में पहले से काफी ज्यादा समय बिताना पड़ रहा है. अब तक बच्चे दोपहर 12.30 या एक बजे तक ही स्कूल में रहा करते थे. लेकिन नए नियमों के तहत देश भर के स्कूलों का समय बढ़ा कर 3.30 से 4 के बीच कर दिया गया है.
क्यों बढ़ रहा है स्कूली समय?
ऐसा करने के दो कारण हैं. बच्चों का पूरा दिन स्कूल में रहना कामकाजी माता पिता के लिए मददगार है. उन्हें स्कूल के बाद बच्चों के लिए क्रेच जैसे प्रबंध करने की जरूरत नहीं पड़ती. साथ ही कुछ समय पहले जर्मनी ने स्कूली प्रणाली में बड़े बदलाव किए हैं. पहले बच्चों को तेरहवी क्लास तक पढ़ना पड़ता था. इसके बाद ही वे हायर सेकंडरी की परीक्षा दे सकते थे. भारत की तरह यूरोप के अन्य देशों में भी हायर सेकंडरी की परीक्षा बारहवीं कक्षा के बाद होती है. ऐसे में जर्मन छात्रों को देश के बाहर यूनिवर्सिटी दाखिले में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता था. इस से बचने के लिए कुछ समय पहले जर्मनी में भी हायर सेकंडरी को बारहवीं तक कर दिया गया. इसके लिए कोर्स में भी बदलाव लाने की जरूरत पड़ी. तेरह सालों की पढाई बारह सालों में करने के लिए जरूरी हुआ कि बच्चे स्कूल में ज्यादा समय बिताएं.
स्पोर्ट्स क्लब स्कूल आ जाएं
ऐसे में जो समय बच्चे पहले स्कूल के बाद स्पोर्ट्स क्लब में बिताया करते थे वह अब उन्हें स्कूल में ही बिताना होगा. भारत से अलग जर्मनी में स्कूल खेल मुकाबलों में हिस्सा नहीं लेते हैं, बल्कि इसके लिए बच्चों को स्पोर्ट्स क्लब का हिस्सा बनना पड़ता है. लेकिन स्कूल का समय बदल जाने के कारण अब स्पोर्ट्स क्लब स्कूलों तक पहुंचने की सोच रहे हैं. सारब्रुकन यूनिवर्सिटी के स्पोर्ट्स साइंस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष गेओर्ग विड्रा का कहना है, "यदि खेल संस्थाएं जल्द ही स्कूलों से नहीं जुड़ी तो उनके लिए बड़ी समस्या हो जाएगी."
2008 ओलंपिक्स में पांचवां स्थान लेने वाले जर्मनी में कुल 91 हजार स्पोर्ट्स क्लब हैं. जर्मन ओलम्पिक कमिटी के बोरिस रम्प का कहना है कि अब तक क्लब में आने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट नहीं हुई है, लेकिन भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए स्पोर्ट्स क्लबों का स्कूलों के साथ मिल कर काम करना जरूरी है. जर्मनी की स्विट्जरलैंड के साथ सीमा पर ऐसा ही एक क्लब है. इस क्लब में स्कूली बच्चों को टेनिस खेलना सिखाया जाता है. क्लब के गेर्हार्ट शोइंग का कहना है, "स्कूल भी अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए नई नई चीजें ढूंढ रहे हैं. और हमारा काम है कि हम बच्चों में प्रतिभा ढूंढें और उन्हें क्लब का सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहित करें."
जर्मन टेनिस फेडरेशन के मिशाएल म्यूलर का कहना है कि बच्चे खास तौर से टेनिस की तरफ कम ध्यान दे रहे हैं. उनका कहना है कि किसी भी खेल की शुरुआत बहुत कम उम्र से ही कर लेनी चाहिए, "अगर मैं एक नया बोरिस बेकर ढूंढ रहा हूं तो वह पंद्रह साल की उम्र में टेनिस खेलना नहीं शुरू कर सकता." ऐसे में एकमात्र रास्ता यही दिखता है कि स्कूल बढ़ाए हुए समय में स्पोर्ट्स क्लब को भी कुछ वक्त दें ताकि बच्चे कम उम्र से ही खेलों में पूरा ध्यान दे सकें.
आईबी/एएम (एएफपी)