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जर्मनी का चुनाव कानून अवैध करार

२५ जुलाई २०१२

जर्मनी की संवैधानिक अदालत ने देश के नए चुनाव कानून को असंवैधानिक करार दिया है. चांसलर अंगेला मैर्केल की गठबंधन सरकार ने संसद में नया कानून विपक्ष की सहमति के बिना पास कराया था.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि नए कानून में संसद के सीटों का बंटवारा समानता और पार्टियों को समान अवसर की संवैधानिक गारंटी नहीं देता है. अदालत की दूसरी पीठ ने नया चुनाव नियम बनाने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की है. नए कानून के खिलाफ प्रमुख विपक्षी पार्टी एसपीडी और ग्रीन पार्टी के संसदीय दलों के अलावा 3000 नागरिकों ने अपील की थी.

मुख्य न्यायाधीश आंद्रेयास फॉसकूले ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि नया चुनाव कानून बनाने में तीन साल का समय लेने के बावजूद नतीजा निराशाजनक रहा. उन्होंने कहा, "नए कानून के पुराने इतिहास को देखते हुए संवैधानिक पीठ इस बात की कोई गुंजाइश नहीं देखती कि असंवैधानिक स्थिति को और समय देकर स्वीकार किया जाए." इस फैसले का नतीजा यह हुआ कि संसद की सीटों के बंटवारे का इस समय कोई कानून नहीं है. पुराना कानून अदालत पहले ही खारिज कर चुकी है.

Urteil Wahlrecht Bundestag
जर्मन संसद बुंडेसटागतस्वीर: picture-alliance/dpa

चार साल पहले 2008 में संवैधानिक अदालत ने उस समय तक लागू नियमों को असंवैधानिक घोषित कर दिया था और संसद को नया कानून बनाने के लिए जुलाई 2011 तक का समय दिया था. हालांकि 2009 के संसदीय चुनाव पुराने नियमों के आधार पर ही हुए.

अदालत की दी गई समयसीमा के पांच महीने बाद दिसंबर 2011 में नया चुनाव कानून लागू हुआ. चांसलर अंगेला मैर्केल के सत्ताधारी गठबंधन ने अपने बहुमत से विपक्ष की आपत्तियों के बावजूद चुनाव बिल पास करा लिया. विपक्षी प्रस्तावों को नए कानून में शामिल नहीं किया गया.

विवाद पार्टियों के बीच संसद की सीटों के बंटवारे को लेकर है. जर्मनी के संसदीय चुनाव में हर मतदाता के पास दो वोट होते हैं. एक वह सीधे प्रत्याशी को देता है और दूसरा अपनी पसंद की पार्टी को. इसी आधार पर संसद के सीट आधे आधे बंटे होते हैं. जिस पार्टी को जितने वोट मिलते हैं, उसी अनुपात में उसे संसद में सीटें मिलती हैं. दिक्कत तब आती है, जब किसी पार्टी को कम वोट मिलते हैं, लेकिन उसके ज्यादा उम्मीदवार सीधे चुनाव जीत कर संसद पहुंच जाते हैं.

संवैधानिक अदालत की पीठ ने राज्य स्तर पर मतदाताओं की संख्या के आधार पर संसदीय सीटों के बंटवारे को गैरकानूनी करार दिया. उनका कहना है कि इससे मतों का नकारात्मक प्रभाव पैदा होता है. नतीजा यह हो सकता है कि किसी पार्टी को उसके मतों के आधार पर मिलने वाली सीटों से कम सीटें मिलें. दूसरी ओर यह भी संभव है कि किसी पार्टी को मतों के अनुपात से ज्यादा सीटें मिल जाएं.

Urteil Wahlrecht Bundestag
अपीलकर्ताओं की खुशीतस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन संसद की सीटें तय नहीं रहतीं, इस नियम की वजह से घटती बढ़ती रहती हैं. यदि कोई पार्टी मतों के अनुपात से ज्यादा सीटें सीधे चुनाव में जीत लेती है, तो उसके पास अतिरिक्त सीटें आ जाएंगी. जर्मनी में पिछले सालों में नई पार्टियों के उभरने के बाद से संभावना बढ़ी है कि कोई उम्मीदवार कम वोट पाकर भी जीत हासिल कर ले. इसलिए अतिरिक्त सीटों की संख्या भी बढ़ी है.

संवैधानिक अदालत ने कहा है कि यदि पार्टियों की दोनों तरह से जीती गई सीटें उसे मिले वोट के अनुपात में न हों, तो यह नियम संविधान के अनुरूप नहीं रह जाता. एसपीडी और ग्रीन पार्टी की मांग है कि पार्टियों को मिली अतिरिक्त सीटों की बराबरी दूसरी पार्टियों को आनुपातिक सीटें देकर की जाएं. इससे संसद के सीटों की संख्या और बढ़ जाएगी.

अदालत ने कहा है कि सीटों के बंटवारे में अतिरिक्त सीटों को इस तरह सीमित किया जाना चाहिए कि संसदीय चुनाव का आनुपातिक चरित्र बना रहे. अदालत ने नया कानून बनाने के लिए और कोई शर्त नहीं रखी है, लेकिन यह जरूर कहा कि संविधानसम्मत कानून बनाने की जिम्मेदारी सरकार, राजनीतिक दलों और संसद की है और इसमें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि अगले चुनाव सितंबर 2013 में होने हैं.

एमजे/एजेए (रॉयटर्स)

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