खेल की ताक़त से नहीं होगा खिलवाड़
२४ मार्च २००९एथलीट खेलों से जुड़े मामलों में कृत्रिम तरीके से जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर जीन डोपिंग की जाती है. और खेल की दुनिया में इसे ख़ासा संवेदनशील मामला माना जा रहा है.
कोलोन स्थित जर्मनी की स्पोर्ट्स युनिवर्सिटी ने इस प्रक्रिया के बारे में कहा कि जीन डोपिंग से जुड़े पदार्थ की पहचान पहली बार की गयी है.
विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी का कहना है कि उसे इस टेस्ट के बारे में पता चला है. जिससे पदार्थ की खोज करने का काम और सहज हो पाएगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक कोलोन की प्रयोगशाला ने शिनाख्त के तरीके में सुधार किया है.
इस पदार्थ का नाम है जी डब्लू 1516. और ये ताक़त में इज़ाफ़ा करने वाली पेशियों का आकार बढ़ा देता है. वे एन्ज़ाइम से भी इससे बढ़ जाते हैं जिनमें चर्बी से ऊर्जा मिलती है. स्टेमिना यानी क्षमता बढा़ने के लिए इस पदार्थ के ग़लत इस्तेमाल का ख़तरा बना हुआ था.
कोलोन स्थित संस्थान ने अपने बयान में बताया कि ये कहना कि जी डोपिंग का परीक्षण अभी मुमकिन नहीं, और इसके लिए बहुत खर्च वाली रिसर्च की ज़रूरत पड़ेगी तो इस परीक्षण ने इन बातों को भी गलत साबित कर दिया है. इस परीक्षण की असली परीक्षा अब जल्द ही होने वाली है जब इस साल अगस्त में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में विश्व एथलीट मुक़ाबले होंगे.
रिपोर्ट : एजेंसियां
एडीटर : एस जोशी