क्रिकेट के दीवानो, ये आया अमेरिकी फुटबॉल
३१ मार्च २०१२बॉलीवुड को भी चेतावनी मिलने वाली है. आईपीएल में भले ही देसी सितारे क्रिकेट ग्राउंड या ओपनिंग सेरेमनी में दिखते हों, अमेरिकी फुटबॉल में तो हॉलीवुड के सितारे आने वाले हैं. नाम होगा इलीट फुटबॉल लीग ऑफ इंडिया (ईएफएलआई) और इस साल नवंबर में 12 टीमों के साथ लीग मुकाबले का आगाज किया जाएगा. आयोजकों की कोशिश है कि 10 साल में टीमों की संख्या बढ़ा कर 52 कर दी जाए.
अमेरिकी फुटबॉल का भारत में क्या काम.
अगर देश की आबादी सवा अरब हो और टेलीविजन देखने वालों की तादात लगातार बढ़ रही हो तो इसमें खेल का एक कोना पाना बहुत मुश्किल नहीं है. अमेरिकी फुटबॉल भारत लाने वालों का भी यही ख्याल है. अमेरिका में क्रिकेट और फुटबॉल ज्यादा लोकप्रिय नहीं है और अमेरिकी फुटबॉल को ही फुटबॉल भी कहा जाता है. राष्ट्रीय फुटबॉल लीग के पूर्व कोच फिलाडेलफिया ईगल्स के रॉन जावोर्सकी, शिकागो बीयर के कोच माइक डिटका, डलास काउब्वाएज के माइकल इर्विन और अभिनेता मार्क व्हालबर्ग भारत में अमेरिकी फुटबॉल की शुरुआत को लेकर बहुत उत्साहित दिख रहे हैं.
लेकिन क्रिकेट के आगे क्या यह चल पाएगा. पिछले साल जब भारत ने वर्ल्ड कप जीता, तो टेलीविजन इश्तेहारों के कुल राजस्व का एक चौथाई हिस्सा क्रिकेट के विज्ञापनों से आया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और सचिन तेंदुलकर जैसे स्टार करोड़ों का विज्ञापन करार करते हैं और डेढ़ महीने तक चलने वाला आईपीएल लोगों को अपनी दिनचर्या बदल देने के लिए मजबूर कर देता है. क्रिकेट के साथ तो यह सब हो सकता है लेकिन क्या अमेरिकी फुटबॉल के साथ ऐसा होगा.
भारत के खिलाड़ी
ईएफएलआई के सीईओ संडे जेलर का कहना है, "भारत में प्रतिभा के धनी खिलाड़ियों की कमी नहीं है. कुछ लोगों ने हाल में इस खेल को शुरू किया और वे ऐसे खेल रहे हैं मानो बरसों से इसमें निपुण हों." आयोजकों ने अभी टीवी करार को पक्का नहीं किया है और उन लोगों से बात चल रही है, जो आईपीएल के टेलीविजन प्रसारण की कामयाबी के पीछे हैं. अमेरिकी फुटबॉल भारत में बिलकुल नया है और खिलाड़ियों की तलाश रग्बी, वेटलिफ्टिंग और वॉलीबॉल खेलने वाली टीमों में की जा रही है.
जेलर का कहना है, "हम नए हीरो पैदा करना चाहते हैं, नए खिलाड़ी लाना चाहते हैं और लोगों को इस खेल के बारे में बताना चाहते हैं. उन्हें इसके नियम और फॉर्मैट समझाना चाहते हैं. हमारा मानना है कि यह एकदम से हिट हो जाएगा और नवंबर में इसकी शुरुआत होने के बाद लोग इसे फॉलो करने लगेंगे."
आईपीएल में भले ही बड़े सितारों के साथ शुरुआत की गई हो लेकिन ईएफएलआई को नई शुरुआत करनी है. कोलकाता में फुटबॉल खेलने वाला 19 साल का संतु सरदार एक खिलाड़ी है. वह सेकंड डिवीजन फुटबॉल खेल रहा है. उसे पहले सिर्फ 15,000 रुपये महीने मिलते थे. अब बहुत ज्यादा मिलेंगे. करार के बाद सरदार बहुत खुश है, "अब तो मेरी जिंदगी ही बदल गई है. मैं अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकता हूं. मैं कोशिश करूंगा कि अपने कोलकाता टीम को बहुत ऊपर ले जाऊं."
उत्साह से आएगा पैसा
सवाल यह है कि सरदार का उत्साह खेल को लोकप्रिय बना सकता है. भारत में फुटबॉल और हॉकी के लीग मुकाबले भी होते हैं. भला कितने लोग उसके बारे में अपडेट रखते हैं. उन्हें सरकारी मदद की जरूरत होती है. ऐसे में बिलकुल नया खेल कैसे जगह बना पाएगा. जिसमें खिलाड़ी बल्लेबाजों की तरह हेलमेट लगाए होते हैं. उनके पूरे बदन पर सुरक्षा कवच की तरह पैड बंधे होते हैं और वो लड़ते भिड़ते अंडाकार गेंद को लेकर भागते रहते हैं. इसमें दिलचस्पी पैदा करना बहुत आसान काम नहीं.
ईएफएलआई 50 करोड़ डॉलर की पूंजी से काम शुरू करेगा और उसे उम्मीद है कि पहले सीजन के बाद उसे 30 करोड़ डॉलर का राजस्व हासिल होगा. बड़े सितारों से कुछ फायदा हो सकता है और कोलकाता का सॉल्ट लेक सिटी स्टेडियम सारी गतिविधियों का गढ़ बनता जा रहा है. भारत के नौ फ्रेंचाइजी कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, पुणे, राजस्थान और पंजाब के होंगे. भारत के अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाड़ियों को शामिल करने की योजना है. हर टीम में पांच कोच और 40 खिलाड़ी हो सकते हैं.
कैसे बनेगी जगह
जेलर को लगता है कि क्रिकेट के दीवाने देश में भी अमेरिकी फुटबॉल जगह बना लेगा, "अगले पांच साल हमारे लिए क्रांतिकारी साबित हो सकते हैं. एक बार यह खेल लोकप्रिय हो गया तो आप देखेंगे कि बच्चे अमेरिकी फुटबॉल की गेंद लेकर घूमने लगेंगे."
आखिरी मुश्किल. लीग की शुरुआत नवंबर में होनी है. यानी भारत में सर्दियां शुरू हो जाएंगी. क्या खिलाड़ियों के लिए वैसे मौसम में अमेरिकी फुटबॉल खेलना आसान होगा.
रिपोर्टः सी राजशेखर राव (एपी)/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह