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क्या महाराष्ट्र विधान सभा संवैधानिक संकट की तरफ बढ़ रही है?

६ नवम्बर २०१९

महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के नतीजों की घोषणा होने के बाद लगभग 2 सप्ताह बीतने को हैं पर अभी तक वहां सरकार बन नहीं सकी है. पिछली विधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने में केवल तीन दिन बचे हैं.

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Wahlausgang in Indien 2019
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool

महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के नतीजों की घोषणा होने के बाद लगभग 2 सप्ताह हो चुके हैं पर अभी तक वहां सरकार बन नहीं सकी है. पिछली विधान सभा का कार्यकाल समाप्त होने में केवल तीन बचे हैं और इसलिए राज्य एक संवैधानिक संकट की और बढ़ता नजर आ रहा है. 

संकट का मुख्य कारण है चुनाव के पहले से बने बीजीपी और शिव सेना के गठबंधन में सत्ता के लिए हो रही खींचतान. इन दोनों पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और बहुमत इसी गठबंधन को हासिल हुआ. इसके बावजूद सरकार बनाने की शर्तों पर दोनों घटक दलों में अभी तक समझौता नहीं हो पाया है.

शिव सेना की मांग है कि चुनावों के पहले दोनों पार्टियों के बीच जो 50:50 फार्मूला तय हुआ था उसके तहत ही कैबिनेट के मंत्रालयों का बंटवारा हो और मुख्यमंत्री पद भी ढाई-ढाई सालों के लिए दोनों पार्टियों के पास रहे. बीजीपी की ओर से स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मांग को ठुकरा चुके हैं और दो टूक कह चुके हैं कि वे ही अगले पूरे पांच सालों तक मुख्यमंत्री रहेंगे. 

Indien Maharashtra Ministerpräsident Devendra Fadnavis
तस्वीर: P. Paranjpe/AFP/Getty Images

अपनी मांगें मंजूर ना होते देख शिव सेना ने बीजेपी को ये संदेस देने के प्रयास शुरू किये कि वह दूसरी पार्टियों के साथ मिलकर भी सरकार बना सकती है. शिव सेना और एनसीपी का गठबंधन, जिसे कांग्रेस का भी बाहर से समर्थन मिलेगा, बनने की अटकलें लगने लगीं और शिव सेना ने इन अटकलों को हवा भी दी. सेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत दो बार एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार से मिलने उनके निवास पर भी गए.

शिव सेना और बीजेपी के टकराव के पीछे क्या है 

वरिष्ठ पत्रकार और महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले अनंत बगाएतकर का कहना है कि शिव सेना की नाराजगी के पीछे मुख्यमंत्री फडणवीस द्वारा चुनावों के नतीजे आ जाने के बाद दिया गया वो बयान है जिसमे उन्होंने ये कह दिया था कि बीजेपी और शिव सेना के बीच किसी 50:50 फॉर्मूले पर सहमति नहीं हुई थी और वो ही पांच सालों तक मुख्यमंत्री रहेंगे. बगाएतकर कहते हैं कि इस बयान से शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे नाराज हो गए क्योंकि इससे यह छवि बनी की सेना झूठ बोल रही है.

क्या क्या हैं संभावनाएं

महाराष्ट्र विधान सभा में कुल 288 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत है. चुनावों में अलग अलग पार्टियों का प्रदर्शन इस प्रकार रहा है:

बीजेपी - 105 सीटें  

शिव सेना - 56 सीटें 

एनसीपी - 54 सीटें 

कांग्रेस - 44 सीटें 

निर्दलीय - 13 सीटें 

अन्य - 16 सीटें

अगर बीजेपी और शिव सेना साथ आ जाते हैं तो इनके पास कुल 161 सीटें हैं जो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त हैं. विधान सभा में सबसे बड़ा गठबंधन भी यही है. दोनों पार्टियां विचारधारा की दृष्टि से भी एक दूसरे के करीब हैं और इनके साझेदारी लगभग 25 साल पुरानी है.

Indien Rahul Gandhi
फाइल तस्वीर: Getty Images/AFP/Str

दूसरा विकल्प, जिसकी अटकलों को हवा दी जा रही है, शिव सेना और एनसीपी का साथ आना और कांग्रेस का बाहर से समर्थन ले कर सरकार बना लेना. तीनों पार्टियों का संख्या बल मिला कर 154 तक पहुंच तो जाएगा पर ये एक स्वाभाविक गठबंधन नहीं होगा क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी का शिव सेना से वैचारिक मतभेद है. 

बीजेपी अगर शिव सेना को छोड़ कर एनसीपी को साथ ले लेती हैं तो 159 सीटों के साथ ये गठबंधन भी सरकार बना सकता है. लेकिन यहां भी वैचारिक मतभेद आड़े आ सकते हैं. 

अगर 9 तारीख तक पार्टियों की सहमति नहीं बनती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ेगा और उसके बाद भी अगर बात नहीं बानी तो चुनाव दोबारा कराने पड़ेंगे, जो कोई भी विधायक नहीं चाहेगा. 

बगाएतकर का मानना है कि अगर फडणवीस ने ये कहा होता कि दोनों दल साथ बैठेंगे और साथ मिलकर सरकार बनाने पर चर्चा करेंगे तो शायद सेना इस कदर नाराज ना हुई होती. हालांकि उनका कहना है कि अगले दो दिनों में बीजेपी और सेना में सुलह हो ही जाएगी और सरकार उन्हीं दोनों की बनेगी.

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