जर्मनी में अगले महीने हट सकती हैं कोविड की पाबंदियां
२ फ़रवरी २०२२बुधवार को एक जर्मन अखबार में प्रकाशित इंटरव्यू में न्याय मंत्री मार्को बुशमान ने कहा है, "मुझे उम्मीद है कि मार्च में बहुत सारे सुरक्षात्मक उपायों को वापस लिया जा सकता है." हालांकि बुशमान ने यह भी कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या, "नए संक्रमण के मामले फरवरी के मध्य से दोबारा गिरने शुरू होते हैं." बुशमान ने ध्यान दिलाया है कि जर्मनी में बीमारियों के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार संस्था रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट ने ऐसा होने की उम्मीद जताई है. न्याय मंत्री ने सावधान किया कि अगर कोरोना वायरस का कोई नया वेरियंट सामने आता है तो हालात बदल सकते हैं.
पाबंदियों में ढील का एलान शुरू
जर्मनी में कोरोना को लेकर लगाई गई पाबंदियों का फैसला मोटे तौर पर देश के 16 राज्यों की सरकारों के जिम्मे है. हालांकि संघीय सरकार राज्य सरकारों के प्रमुखों से लगातार मुलाकात करती है ताकि उनकी नागरिक स्वास्थ्य नीति पर सहयोग किया जा सके. जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्त्स की क्षेत्रीय नेताओं से अगली मुलाकात 16 फरवरी को होनी है. पिछली बैठक 24 जनवरी को हुई थी. इस बैठक में पाबंदियों से जुड़े नियमों को लेकर यथास्थिति बरकरार रखने पर सभी नेताओं ने सहमति जताई थी.
जर्मनी में फिलहाल बेहद संक्रामक ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण संक्रमण के मामलों में आई तेजी की वजह से बहुत सारी पाबंदियां जारी हैं. नाइटक्लब और इस तरह की कई जगहें पूरी तरह से बंद हैं तो रेस्तरां और बार में जाने के लिए ग्राहकों को दिखाना पड़ता है कि उन्हें वैक्सीन लगाई गई है या फिर संक्रमित हो कर अब ठीक हो गए हैं. हाल में कराए गए टेस्ट की रिपोर्ट दिखा कर भी वो ऐसी जगहों पर जा सकते हैं. जिन लोगों ने बूस्टर डोज ले ली है उन्हें टेस्ट कराने से फिलहाल छूट मिली हुई है. जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लिया है उन्हें फिलाहल रेस्तरां या बार समेत कई दुकानों में भी जाने की अनुमति नहीं है. बहुत से लोग इन पाबंदियों का विरोध कर रहे हैं.
कुछ राज्यों ने हालांकि पाबंदियों में ढील देने का एलान कर दिया है. उत्तरी राज्य श्लेषविग होल्सटाइन में 9 फरवरी से दुकामों में जाने के लिए किसी तरह की शर्त नहीं होगी. यानी किसी आदमी के वैक्सीन की चाहे जो भी स्थिति हो वह दुकानों में जा सकेगा. राज्य के मुख्यमंत्री डानियल गुंथर ने बुधवार को कील में इस बात की घोषणा की.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ सावधान कर रहे हैं
बुशमान और दूसरे जर्मन राजनेता इस बात के संकेत दे रहे हैं कि आने वाले हफ्तों में पाबंदियों से छूट मिलेगी लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का रुख अब भी ज्यादा सावधानी बरतने वाला है. मंगलवार को एनडीआर इंफो पर प्रसारित पॉडकास्ट में शीर्ष वायरोलॉजिस्ट क्रिश्टियान ड्रोस्टेन ने कहा कि जर्मनी के लिए जरूरी नहीं है कि वह पड़ोस के डेनमार्क जैसे देशों के रास्ते पर चले. डेनमार्क में मंगलवार से सारी पाबंदियां हटा दी गई हैं. हालांकि डेनमार्क की आबादी के एक बड़े हिस्से ने अब भी वैक्सीन नहीं ली है. ड्रॉस्टेन ने कहा है, "यही वजह है कि हम जर्मनी के लिए सारी चीजों की अनुमति नहीं दे सकते."
जर्मनी में अब तक 74.1 फीसदी आबादी को वैक्सीन लगा हुआ बताया जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक लगभग 53.3 फीसदी लोगों ने बूस्टर डोज भी लगवा ली है. शोल्त्स ने जनवरी के आखिर तक 80 फीसदी लोगों को कम से कम एक डोज जरूर लगवा देने का लक्ष्य तय किया था जिसमें वो नाकाम हो गए. दिसंबर में उनके सत्ता संभालने के बाद भी इसमें प्रगति काफी धीमी है और अब तक महज 75.8 फीसदी लोग ही ऐसे हैं जिन्हें कम से कम एक डोज दी जा सकी है.
एक दिन में 2 लाख से ज्यादा मामले
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि जर्मनी के बहुत सारे बुजुर्गों पर अब भी गंभीर बीमारियों का खतरा है क्योंकि उन्होंने वैक्सीन नहीं लिया है. ओमिक्रॉन के मामले में ज्यादा गंभीर स्थिति नहीं हो रही है लेकिन एक शीर्ष डॉक्टर का कहना है कि सामान्य स्थिति में लौटना अभी जल्दबाजी होगी. जर्मन अस्पतालों के फेडरेशन के प्रमुख गेराल्ड गास ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "हमारे ख्याल में यह पहले से ही साफ है कि सब कुछ दोबारा खोलने के बारे में स्पष्ट धारणा बनाई जाए. हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि चीजें इस वक्त ही खोल दी जाएं."
बुधवार को जर्मनी में कुल कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या एक करोड़ के पार चली गई. रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट ने बुधवार को 208,498 नए मामलों की खबर दी है जो जर्मनी के लिए रिकॉर्ड है. इसी दिन कुल 196 लोगों की मौत भी कोविड से जुड़े मामलों की वजह से हुई. जर्मनी में अब तक कुल 118,170 लोगों ने इस महमारी के चलते जान गंवाई है.
एनआर/एके(डीपीए)