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कानून व्यवस्था की प्रतिष्ठा बढ़ीः चिदंबरम

२१ फ़रवरी २०११

भारत के गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मुंबई हमलों के दौरान पकड़े गए आतंकवादी अजमल आमिर कसाब की मौत की सजा को हाई कोर्ट की तरफ से बरकरार रखने का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि इससे देश की कानून व्यवस्था की प्रतिष्ठा बढ़ी है.

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पाकिस्तान से निराश चिदंबरमतस्वीर: APImages

सोमवार को आए बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर चिदंबरम ने कहा, "मैं इस फैसले की सरहना करता हूं. इसका श्रेय हमारी कानून व्यवस्था को जाता है." उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह मुकदमा चला है उससे भारतीय न्याय व्यवस्था की प्रतिष्ठा बढ़ी है. चिदंबरम के मुताबिक, "मुझे लगता है कि हमारी कानून व्यवस्था को इस केस से उसी तरह निपटने देना चाहिए जैसे वह अन्य मामलों को देखती है."

चिदंबरम मुंबई हमलों के सिलसिले में पाकिस्तान में चल रहे मुकदमे में प्रगति न होने से निराश हैं. वह कहते हैं, "पाकिस्तान में हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट के मुकदमे को देखें तो वहां इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है." उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान में चल रहे मुकदमे में तेजी से कार्यवाही की अपील करेगा. कुछ दिनों पहले अभियोजन पक्ष ने रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधी अदालत से यह कहते हुए कुछ और समय मांगा कि लाहौर हाई कोर्ट में भी यह मामला लंबित है. इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 26 फरवरी तक स्थगित कर दी. चिदंबरम ने कहा, "लेकिन हाई कोर्ट में जो जज इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं, वह रिटायर हो गए हैं."

भारत के कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका सबसे के लिए निष्पक्ष और समान है और यही बात कसाब के मामले में दिखाई दी है जिसकी मौत की सजा को अदालत ने बरकरार रखा है. उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया जानती हैं कि हमारी न्यायपालिका कैसे काम करती है. पूरे नियम और व्यवस्था के साथ."

लगभग सवा दो साल पहले 26 नवंबर, 2008 को कसाब और उसके नौ साथियों ने मुंबई के अलग अलग स्थानों पर आतंकवादी घटनाओं में 166 लोगों की हत्या कर दी. पिछले साल मई में विशेष अदालत ने कसाब को मुंबई हमलों का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई जिसे सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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