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एक चमत्कारी तलाक़

प्रिया एसेलबोर्न१८ अप्रैल २००८

एक अनोखी घटना. यमन में एक आठ साल की लड़की को अपने तीस साल यानी बाईस साल बड़े पति से तलाक़ मिली. लड़की ने खुद उसके घर से भागकर राजधानी सानाआ की अदालत पहुँचकर तलाक़ की मांग की. ज़्यादातर यमन जैसे रूढीवादी मुस्लिम देशों मेंऐसे मामलों में लड़की के खिलाफ़ फैसला होता है क्योंकि उसने शादी के लिए

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यमनी महिलाओं का सार्वजनिक चेहरा
यमनी महिलाओं का सार्वजनिक चेहरातस्वीर: AP

अपनी सहमति दी थी और फिर वह अपने पति को छोड़कर भाग गई.

आठ साल की नोजुद को अपने पति को 500 डॉलर देने हैं. लेकिन फिर वह आज़ाद है और तलाक़ जायज़. करीब तीन महिने पहले नोजुद के पिता ने उसकी शादी उससे बाईस साल बड़े यानी 30 साल के फैज़ से कर दी थी. नोजुद शादी के लिए इस लिए राज़ी हो गई थी क्योंकि उसे लगा था कि वह अठारह साल की उम्र तक अपने मायके में रह सकती है. राष्ट्रीय महिला समिती की उपाध्यक्ष हुरिया मशहूर कहतीं हैं:

"उसने हमेशा अपने परिवार से कहा था कि वह इस आदमी के साथ नही़ जीना चाहती है और दूसरे बच्चों के साथ खेलना चाहती है. लेकिन वह उसको ज़बर्दस्ती अपने घर ले गया और उसे अपना पत्नी का कर्तव्य निभाना पड़ा. नोजुद ने बताया कि उसे पीटा भी गया. वह उसके साथ नहीं जी सकती थी."


यमन के कानून के मुताबिक नोजुद के पिता और पूर्व पति ने कोई गुनाह नहीं किया. यमन में शादी करने के लिए औपचारिक रूप से पंद्रह साल की न्युंतम आयू तय की गई है. हालांकी एक लड़की की शादी पहले भी हो सकती है यदि उसके पिता सहमति दें और लड़की शादी के लिए तैयार हो. लेकिन इस शर्त का कोई भरोसा नहीं है. परंपरागत रूप से लड़की की शादी सामाजिक दबाव की वजह से बहुत छोटी उम्र में की जाती है. हालांकि ज़्यादातर लड़की किशोरावस्था तक मायके में रहती है. बहुत हिम्मत वाली छोटीसी बच्ची नोजुद के मामले में मुकदमे में जीत "यमन टाइम्स" के रिपोर्टर हमीद थाबत के मुताबिक चमत्कार जैसा है:

"कोई भी इस फैसले की उम्मीद नहीं कर सकता था. शुरू में उसके पति ने कहा कि वे कभी उसे तला़क़ देने के लिए तैयार नहीं होंगे. उन्होने यह भी कहा कि वह उसकी पत्नी है और कि वह उसके साथ कुछ भी कर सकता है. पत्रकार, मानवधिकार कार्यकर्ता और बहत सारे दूसरे लोगों ने फिर उनसे बात की. वे तलाक़ के लिए तभी राज़ी हुए जब खुल्ले की अदायगी की गई.

अनेक सालों से दो करोड़ की आबादी वाले इस्लामी देश यमन में महिला अधिकारों के लिए काम कर रहीं संस्थाएं संसद से बच्चियों और लड़कियों की रक्षा के लिए पर्याप्त कानून की मांग कर रही हैं. नोजूद की घटना के बाद इस संघर्ष को एक चेहरा मिला है. नोजूद इस बीच एक मामा के घर में रह रही है और फिर से स्कूल जाएगी.