उत्तर प्रदेश में सरेआम लज्जित किए जा रहे प्रदर्शनकारी
६ मार्च २०२०नागरिकता कानून पर विवाद इतना गहरा गया है कि उसके नाम पर देश की राजधानी दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगे हो गए और उनमें 50 से भी ज्यादा लोग मारे गए. लेकिन हालात इतने नाजुक हो जाने के बावजूद, सरकारें नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को परेशान करने से झिझक नहीं रही है. उत्तर प्रदेश में दिसंबर में नागरिकता कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में जिन लोगों के खिलाफ प्रशासन ने हिंसा के आरोप लगाए थे उनसे हर्जाना वसूलने के लिए राज्य सरकार ने राजधानी लखनऊ में बड़े बड़े होर्डिंग लगा दिए हैं. जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा लगाए गए इन होर्डिंगों पर इन प्रदर्शनकारियों के नाम के साथ साथ उनकी तस्वीरें और उनके पते भी हैं. साथ ही जुर्माने की राशि का भी उल्लेख है और उनके नाम संदेश भी है कि उन्होंने अगर जल्द ही जुर्माना नहीं भरा तो उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी.
इन प्रदर्शनकारियों की सूची में कुछ जाने माने नाम भी हैं, जैसे पूर्व आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी, रंगकर्मी दीपक कबीर, वकील मोहम्मद शोएब और एक्टिविस्ट सदफ जफर. इन सब को पहले हिरासत में लिया गया था और फिर बेल पर रिहा किया गया था. इन सभी को संपत्ति जब्त करने के कानूनी नोटिस उनके पतों पर भी भेजे जा चुके हैं.
सदफ जफर का कहना है कि जब मामला अदालत में चल रहा है, वो शहर में ही हैं, उनके वकील भी शहर में ही हैं और ऐसे में सरकार का यूं सरेआम इस तरह के होर्डिंग लगाना अनैतिक है.
दीपक कबीर ने कहा है कि ऐसा करके सरकार लोगों में बदनामी का और आर्थिक दंड का भय पैदा करना चाह रही है. होर्डिंग पर नाम पता देते हुए प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों की निजता का ख्याल भी नहीं रखा है. होर्डिंग पर शिक्षक रोबिन वर्मा की भी तस्वीर है. उनका कहना है कि अगर इस होर्डिंग की वजह से असामाजिक तत्त्व उनके घर पर हमला कर देंगे तो इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार होगा.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुरू में ही यह कह दिया था कि वे प्रदर्शनकारियों से कड़ाई से पेश आएंगे. उन्होंने कहा था कि सीसीटीवी फुटेज के जरिए प्रदर्शनों में शामिल लोगों की पहचान की जाएगी और सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई उन्हीं से कराई जाएगी.
दिसंबर में पूरे देश के अलग अलग हिस्सों में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे. उत्तर प्रदेश में भी ऐसे प्रदर्शन हुए थे पर कई जगहों पर इन प्रदर्शनों में हिंसा भी हुई थी, जिसमें 19 लोगों की जान चली गई थी और काफी संपत्ति का नुकसान हुआ था. लेकिन इस हिंसा में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे थे क्योंकि कई वीडियो में पुलिसकर्मियों को तोड़ फोड़ करते और लोगों को बेरहमी से पीटते हुए देखा गया था.
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