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उत्तराखंड में नाकारा अफसरों को सेवानिवृत्ति देने की तैयारी

५ जुलाई २०१९

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर अब उत्तराखंड सरकार भी भ्रष्ट और नाकारा अफसरों को समय पूर्व अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का सख्त कदम उठाने की रणनीति तैयार कर रही है.

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Indien Neu Delhi - Ministerpräsident Trivendra Singh Rawat
तस्वीर: Imago/Hindustan Times

उत्तराखंड सरकार ने इसके लिए विभागों से सूची बनाने को कहा गया है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में इस सूची में 50 वर्ष की आयु पार कर चुके अधिकारियों को शामिल करने को कहा गया है. शासन के बाद विभिन्न महकमों में भी ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों का चिन्हित किया जाएगा. सरकार की कार्यशैली को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की केंद्र सरकार की पहल का अब राज्य भी अनुसरण करने लगे हैं. इसके बाद अगले चरण में विभिन्न विभागों के भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, उत्तराखंड के संदर्भ में सरकार के लिए इस मुहिम को आगे बढ़ाना आसान नहीं होगा, क्योंकि यहां पहले से ही अधिकारियों की काफी कमी है.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्य सचिव को भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सूची बनाने को कह चुके हैं. मुख्य सचिव ने भी कार्मिक विभाग को विभागवार ऐसे सभी अधिकारी कर्मचारियों को चिन्हित करने को कहा है. उत्तराखंड में करीब साढ़े तीन लाख से अधिक अधिकारी राज्य कर्मचारी हैं. इनमें से खराब ट्रैक रिकार्ड और अक्षम कार्मिकों को चिन्हित करना बहुत ही मुश्किल काम होगा. साथ ही कर्मचारी संगठनों को भी इसके लिए तैयार करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है. भ्रष्टाचार के अलावा जिन अधिकारियों की कार्यशैली अप्रभावी है और जिनका पिछला रिकॉर्ड इस लिहाज से संतोषजनक नहीं है, उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा. कार्मिक मंत्रालय ने इसके लिए सभी सरकारी विभागों के सचिवों को पत्र लिख अधिकारियों-कर्मचारियों के कामकाज के आकलन को कहा है.

शासन के बाद विभिन्न महकमों के ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को सूचीबद्ध किया जाएगा, जिन्हें कार्य के प्रति लापरवाह, नाकारा माना जाता है और जिन पर भ्रष्टाचार के मामले हैं या रहे हैं. बीते दिनों उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था, "सत्ता संभालने के पहले ही दिन से हमने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का पालन किया है. तमाम अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के मामलों में की गई कार्यवाही इसका प्रमाण है. अब उत्तराखंड में भी केंद्र सरकार की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए भ्रष्ट और नाकारा अधिकारियों व कर्मचारियों पर नकेल डाली जाएगी."

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट ने आईएएनएस से कहा, "उत्तराखंड सख्त शासन और स्वच्छ प्रशासन के बल पर चल रहा है. हम लोग जीरो टॉलरेंस को लेकर चलने वाले हैं. यहां पर भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं है. इसलिए सरकार ऐसा निर्णय लेगी जिसमें जनता का हित हो." उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा, "सरकार के ऐसे प्रयोगों से जनता का क्या भला होगा? सरकार को चाहिए कि भ्रष्टाचार की जड़ों में जाकर उसे समाप्त करे. इसके लिए सरकार और मुखिया का ईमानदार होना बहुत जरूरी है, तभी कुछ भला हो सकता है." उन्होंने कहा कि सरकार चंद कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाकर व्यवस्था में फैले भ्रष्टाचार को कैसे दूर कर पाएगी. जो भी पैमाना बना लीजिए, लेकिन बिना मजबूत इच्छाशक्ति के कुछ होने वाला नहीं है. यहां पर तो जनता के प्रतिनिधि खुद अधिकारी से अपने पक्ष में ठेके पट्टों के काम कराते हैं. तो फिर वह उन्हें कैसे बाहर करेंगे.

रिपोर्ट: विवेक त्रिपाठी (आईएएनएस)

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