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'आरक्षण का फ़ायदा सिर्फ़ प्रभावशाली महिलाओं को'

७ मार्च २०१०

हमारे कार्यक्रमों पर श्रोताओं का क्या कहना हैं, जानते है उन्हीं के पत्रों, ई मेल और एस एम एस से.....

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तस्वीर: Caran d'Ache

डॉयचे वेले की हिंदी वेब साईट पर पिछले दिनों महिला आरक्षण की खबर पढ़ के रोमांच से भर गया.पिछले दिनों भारतीय कैबिनेट ने संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी महिला आरक्षण विधेयक को अपनी मंज़ूरी दे दी. इसी के साथ महिला आरक्षण विधेयक लागू करने की दिशा में एक छोटी पर कारगर पहल फिर से हुई है. इससे पहले ये सवाल आता है कि आरक्षण से क्या लाभ है. अगर व्यवस्था की नीयत ठीक नहीं है तो हमारे सामने उदाहरण पड़ा है कि 10 वर्षों के लिए किया गया आरक्षण 63 वर्षों तक जारी है और देश के 70 प्रतिशत लोग अभी भी 30 रूपए प्रतिदिन से कम पर अपने जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं. महिला आरक्षण सिवाय महिला मतदाताओं के तुष्टीकरण के कुछ और नहीं. इससे न तो उनके हालात बदलेंगे और न ही उनमें कोई क्रांतिकारी परिवर्तन ही आएगा. वे हमेशा से समाज का कमज़ोर हिस्सा थीं, हैं और रहेंगी. भारत में 70 फीसदी महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं. अगर आरक्षण दिया गया तो सिर्फ़ मलाईदार तबके की महिलाएं ही राजनीति में दिखाई देंगीं. आरक्षण का आधार जाति न होकर आय होना चाहिए. अभी तक जितने भी आरक्षण मिले है,उनमें 95 प्रतिशत मलाईदार तबके ने ही फ़ायदा लिया है. मौज़ूदा समय मे राष्ट्रपति,लोकसभा अध्यक्ष,विपक्ष की नेता और देश को चलाने वाली सरकार की मुखिया सब महिलाएं हैं. फिर भी ग़रीबों और महिलाओ पर जुल्म, महंगाई और अपराध हो रहे है. ऐसे में 33 प्रतिशत आरक्षण देकर क्या भला होगा. यह महिलाओ और देश की जनता की समझ से परे है. इससे केवल धनाढ्य और फ़िल्मी महिलाओ को ही फ़ायदा मिलेगा न कि ग़रीब महिलाओ को. संसद में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण देना सही है. लेकिन इससे यह तय नहीं हो जाता कि जो महिलाएं जनता का प्रतिनिधित्व करती हैं, वे संसद में आएंगी. इस आरक्षण से केवल प्रभावशाली महिलाओं को ही फ़ायदा होगा.

रवि शंकर तिवारी, गुन्सेज , दिनारा सासाराम बिहार

गर्म होती पृथ्वी के बारे में आपकी रिपोर्ट बहुत उपयोगी सिद्ध हुई. हमारा क्लब वृक्षारोपण के बारे में बहुत अधिक ध्यान रखता है. यदि आप हमारा सहयोग चाहते हैं तो लिस्नर्स को हमारा पता दें हम वृक्षारोपण पर उन सबसे बातचीत करना पसंद करते हैं.

जावेद नाईम, यंग स्टूडेंटस क्लब, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश

जर्मन स्कूलों में बच्चों की लड़ाई झगड़ा को लेकर हैलो जिंदगी में की गई चर्चा बहुत पसंद आयी, हमें इस बात की बड़ी खुशी हुई कि जर्मन स्कूलों में बच्चे अपनी समस्या का खुद ही समाधान निकाल लेते हैं. वेस्ट वॉच कार्यक्रम में ग्रीन पार्टी की 30वीं वर्षगांठ के संबंध में तथा इस पार्टी के इतिहास पर जो चर्चा की गयी वह भी काफ़ी रोचक लगी. विशेष रूप से इस पार्टी की पॉलिसी हमें बहुत अच्छी लगी.

मिस फीज़ा, पवन रेडियो लिस्न्र्स क्लब, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश

इंडियन हॉकी टीम की जीत से यह पता चलता है की आगे के मैच जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी.

डॉ. हेमंत कुमार, भागलपुर, बिहार

यह कह कर कि मुम्बई सबकी है, आशाजी ने एक बार फिर से इस बात को सिद्ध कर दिया है कि हिंसक लोगों के विरुद्ध पुरुषों की तुलना में स्त्रियां अधिक साहसी और धैर्यवान होती हैं. अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जबकि आपसी फ़सादों तथा साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान धर्म या सम्प्रदाय की परवाह किये बिना अनेक निर्दोषों की जान बचाई है.

डॉ. पुरुषोत्तम मीणा "निरंकुश" -लेखक होम्योपैथ चिकित्सक