अमेरिकी कॉलेज में नफरत का पाठ
११ मई २०१२'पर्सपेकटिव्स ऑन इस्लाम एंड इस्लाम रैडिकलिज्म' नाम के इस कोर्स का मकसद इस्लामी आतंकवादियों के बारे में सूचना देना था. लेकिन कोर्स इस्लाम के खिलाफ नफरत का पाठ पढ़ा रहा था. कोर्स में बताया जा रहा था कि इस्लाम अमेरिका का दुश्मन है और इससे निपटने के लिए मक्का और मदीना जैसे धार्मिक शहरों को पूरी तरह नष्ट करने की जरूरत है. साथ ही ऐसा भी कहा गया कि ऐसा करने में नागरिकों की जान के नुकसान के बारे में भी सोचने की जरूरत नहीं है.
जंग के गलत मायने
इस कोर्स को पिछले महीने एक स्टूडेंट की शिकायत के बाद बंद किया गया. अब जांच चल रही है कि इस तरह के कोर्स को की अनुमति कैसे मिली. इस कोर्स को लेफ्टिनेंट कर्नल मैथ्यू डूले ने तैयार किया था. डूले के लेक्चरों को इकठ्ठा किया गया और पाया गया कि वह छात्रों को सिखाना चाह रहे थे कि अमेरिका आतंकवाद से नहीं, बल्कि इस्लाम से जंग लड़ रहा है. पिछले साल जुलाई में एक लेक्चर के दौरान डूले ने कहा, "वे (मुसलमान) आपकी हर बात से नफरत करते हैं और वे तब तक आपके साथ ठीक तरह रहना शुरू नहीं करेंगे जब तक आप उनकी बातें मान नहीं लेते."
सेना के अफसरों को जंग की योजना के बारे में सिखाते हुए उन्होंने कहा कि जीनिवा कन्वेंशन के तय किए गए नियमों को अब मानने की कोई जरूरत नहीं है. जीनिवा के अनुसार युद्ध के दौरान ख्याल रखा जाना चाहिए कि नागरिकों की जान नहीं जा रही है. इसके विपरीत डूले ने अपने लेक्चर में कहा, "इससे आपके पास एक बार फिर यह विकल्प आता है कि जहां भी जरूरत पड़े आप जंग को नागरिकों तक ले जाएं."
इंटरनेट तक पहुंचे लेक्चर
डूले वर्जीनिया के ज्वाइंट फोर्सेस स्टाफ कॉलेज में पढ़ाते हैं. 2004 से यहां यह कोर्स पढ़ाया जा रहा है. यह कोर्स इस कॉलेज में अनिवार्य नहीं है. सेना में भर्ती होने के बाद स्टूडेंट अपनी मर्जी से इस कोर्स को चुन सकते हैं. साथ ही अन्य सैन्य अधिकारियों को भी ऐसे कोर्स करनी की अनुमति है. अब तक करीब 800 लोग इस कोर्स से जुड़ चुके हैं. हैरानी की बात है कि अब जा कर इसके खिलाफ शिकायत की गई है.
डूले के लेक्चर और उनकी प्रेजेंटेशन को हाल ही में वायर्ड डॉट कॉम पर प्रकाशित किया गया. समाचार एजेंसी एएफपी ने जब कॉलेज से इनकी एक कॉपी लेनी चाही तो कॉलेज ने इनकार कर दिया. लेकिन पेंटागन के एक अधिकारी ने वेबसाइट पर डाले गए लेखों की पुष्टि की है. एएफपी ने जब डूले से इस सिलसिले में बात करनी चाही तो उन्होंने यह कह कर फोन काट दिया कि "मैं आपसे कोई बात नहीं कर सकता."
आपत्तिजनक विचार
डूले ने अपने लेक्चर में इस्लाम को धर्म न हो कर एक विचारधारा बताया. सेना के संयुक्त अध्यक्ष जनरल मार्टिन डेम्पसे ने कहा कि डूले अब भी कॉलेज में काम करते हैं लेकिन अब वह वहां पढ़ा नहीं रहे हैं. डेम्पसे ने कहा कि कोर्स में जिस तरह की बातें कही गई हैं वे अमेरिका की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता की नीति से परे हैं, "वह पूरी तरह आपत्तिजनक था, हमारे आदर्शों के खिलाफ था और शिक्षा के लिहाज से गलत था." डूले ने खुद माना है कि उनके विचार सरकार की नीतियों से अलग हैं और उन्हें किसी सरकारी दस्तावेज में नहीं पढ़ा जा सकता.
अमेरिका का यह मामला हैरान कर देने वाला है लेकिन पहला नहीं है. एफबीआई द्वारा छह महीनों तक की गई एक जांच के बाद पता चला कि एजेंटों को दी जाने वाली ट्रेनिंग में 876 पेज आपत्तिजनक थे. इन सबको 392 अलग अलग प्रेजेंटेशन में इस्तेमाल किया गया.
आईबी/एजेए (एएफपी)