अभी बहुत बहुत दूर जाना है
२१ जुलाई २०१२घटना गुवाहाटी के बीच शहर में एक सुरक्षित और शांत इलाके में हुई, किसी बदनाम गली में नहीं. पीड़ित लड़की शाम को बार से निकल कर आ रही थी और तभी कुछ लोगों ने उसके साथ बदसलूकी शुरू कर दी. उसे मारा पीटा भी गया और कपड़े भी खींचे गए. बाद में उस लड़की के शरीर पर कटने और छिलने के कई जख्मों के साथ ही सिगरेट से जलने के निशान भी मिले हैं.
इस दौरान वहां लोगों की एक भीड़ तमाशा देखती रही. नजदीकी पुलिस स्टेशन महज एक किलोमीटर की दूरी पर था लेकिन घटना के वक्त कोई नहीं आया, कुछ कांस्टेबल वहां आए भी तो सूचना देने के एक घंटे बाद. घटना के वक्त वहां मौजूद लोगों की भीड़ में एक स्थानीय न्यूज चैनल से जुड़े गौरव ज्योति नियोग नाम का पत्रकार भी वहां मौजूद था. गौरव ने लड़की को बचाने या पुलिस वालों को खबर देने की बजाय अपने चैनल को फोन कर कैमरा टीम बुलवाया और खुद इस दौरान मोबाइल कैमरे से विडियो बनाता रहा.
न्यूज लाइव नाम के इस स्थानीय चैनल ने इस शर्मनाक घटना का संपादित विडियो अपने चैनल पर दिखाया जबकि गैर संपादित विडियो इंटरनेट के जरिए यूट्यूब पर अपलोड कर दिया गया. यूट्यूब पर जारी विडियो में लड़की की तस्वीरें और निजी जानकारियां भी डाल दी गईं. भारत में निजी गोपनीयता से जुड़े कानूनों का उल्लंघन करने में पीड़ित लड़की से मिलने आई राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम भी पीछे नहीं रही. टीम की एक सदस्य ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस लड़की का नाम भी ले लिया.
राजनीति का खेल
जैसा कि अक्सर होता है इस घटना पर भी राजनीति ने अपना रंग चढ़ा लिया. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इस घटना को लेकर हायतौबा मची हुई है लेकिन देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी फिलहाल इसे सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी का कसूर बताने में जुटी है. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस राष्ट्रीय महिला आयोग को अपने राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है. इससे पहले बीजेपी ने आरोप लगाया कि न्यूज लाइव चैनल असम में कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री का है और घटना के दोषियों में युवा कांग्रेस का एक सदस्य भी शामिल है.
आरोप और प्रत्यारोप के खेल के बीच ही न्यूज लाइव के संपादक अतानु भुयन ने इस्तीफा दिया और कहा कि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के दबाव के कारण नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी की वजह से वो पद छोड़ रहे हैं. इस बीच सूचना अधिकार कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने यह भी कहा है कि 9 जुलाई को हुई इस घटना के लिए टीवी पत्रकार नियोग ने ही लोगों को बदसलूकी के लिए उकसाया.
छोटी उम्र का कसूर
भारत के ब्रॉडकास्ट एडिटर्स की संस्था बीईए तीन सदस्यों का एक दल इस मामले में जानकारी जुटाने के लिए गुवाहाटी भेज रही है. इनमें एनडीटीवी इंडिया के पूर्व प्रमुख दिबांग भी हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में दिबांग ने माना कि यह मीडिया की भूमिका पर सवाल तो है लेकिन उन्होंने मीडिया के रवैये को लेकर यह सफाई भी दी कि वह भारत में अभी अपनी तरुणाई में है. दिबांग ने कहा, "भारत में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की उम्र अभी बहुत कम है. मैंने हमेशा कहा है कि यह अभी अपनी तरुणाई की उम्र से गुजर रही है."
दिबांग के मुताबिक, "कम तजुर्बे के चिन्हों," को भारतीय मीडिया के प्राइम टाइम में चल रहे "अपराध, भूत प्रेत के किस्सों या घंटे घंटे भर चलने वाले सांप और कुत्तों की लड़ाई में देखा जा सकता है. हालांकि इस (गुवाहाटी की घटना) तरह के मामले बहुत गंभीर मसले हैं." दिबांग ने यह भी कहा, "टेलिविजन की उम्र बहुत कम होने के साथ ही इसमें जबर्दस्त मुकाबला भी है...टीवी चैनलों में काम कर रहे लोगों को जरूरी ट्रेनिंग नहीं मिली है और इसके साथ ही निश्चित रूप से उन पर हर वक्त दबाव भी बहुत ज्यादा है. ट्रेनिंग देने के साथ ही उनकी समझ विकसित करने की जरूरत है और मीडिया के लिए आचार संहिता भी तय करनी होगी."
हर घर के लिए संदेश
भारत की प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ता डॉ रंजना कुमारी ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है. डीडब्ल्यू से बाचतीत में रंजना कुमारी ने कहा यह घटना, "सेक्स के भूखे लोगों के समूह की बीमार मानसिकता दिखाती है," जिसे "बिल्कुल सहन" नहीं किया जाएगा. रंजना कुमारी के शब्दों में, "आप हर घर में पुलिसवाले को तैनात नहीं कर सकते लेकिन हर घर को यह जरूर बता सकते हैं कि इस अपराध को बिल्कुल सहन नहीं किया जाएगा."
रंजना ने इस घटना में क्षेत्रीय और भौगोलिक पहलू की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा, "असम और उत्तर पूर्व के दूसरे राज्यों में बिहार, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के मुकाबले बाजार जैसी जगहों पर महिलाओं की मौजूदगी ज्यादा रहती है. उत्तर पूर्व में लिंग के आधार पर ज्यादा समानता है क्योंकि यहां लोग समाज के मूल्यों की कद्र करते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि असम में ऐसा होना सबसे ज्यादा हैरानी की बात है." हालांकि उन्होंने एक आदिवासी महिला को नंगा घुमाए जाने की घटना का जिक्र कर यह भी माना कि यहां पहले भी घटनाएं हुई हैं.
भारत में महिला अधिकारों में सुधार के बारे में पूछे सवाल के जवाब में रंजना कुमारी ने कानून से लेकर मीडिया में जागरुकता तक की बात की लेकिन आखिर में कहा, "अभी हमें बहुत बहुत दूर जाना है."
रिपोर्टः अरुण चौधरी/एनआर
संपादनः महेश झा